सदन से साइकिल की सोशल इंजीनियरिंग
India Today Hindi|August 21, 2024
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने यूपी विधानमंडल से संसद तक अपने नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर पार्टी के पीडीए नारे को और व्यापक बनाने की कोशिश की
आशीष मिश्र
सदन से साइकिल की सोशल इंजीनियरिंग

माजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 12 जून को करहल विधानसभा सीट से विधायक और यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उत्तर भारतीयों के सबसे मनोरंजक कार्यों की लिस्ट में सबसे ऊपर आने वाला काम किया जाने लगा, कयासबाजी. पदों की ऐसी रेस में अक्सर जीतते-जीतते चूक जाने वाले चाचा शिवपाल यादव का नाम हमेशा की तरह सबसे आगे दिखाई दे रहा था.

शिवपाल सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के दौरान नेता प्रतिपक्ष थे. इसके अलावा, इंद्रजीत सरोज और तूफानी सरोज, रामअचल राजभर, महबूब अली और माता प्रसाद पांडेय जैसे अनुभवी नेताओं के नाम पर पार्टी के भीतर लामबंदी भी शुरू हुई. इधर, 29 जुलाई से यूपी विधानमंडल के मॉनसून सत्र की घोषणा के साथ ही नेता प्रतिपक्ष के नाम की उलटी गिनती भी शुरू हो गई थी.

इसी बीच 22 जुलाई को अखिलेश ने आजमगढ़ के रहने वाले और शिक्षक राजनीति में माहिर पार्टी के एमएलसी लाल बिहारी यादव को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी सौंप दी. यादव नेता को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाने के बाद से ऐसी भी अटकलें थीं कि अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की अपनी कुर्सी अखिलेश किसी यादव नेता को नहीं सौंपेंगे. इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष की रेस में शिवपाल यादव के लिए फिनिशिंग लाइन अनंत में समाने लगी. हालांकि पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए पार्टी के किसी दूसरे नेता को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी सौंपना भी आसान निर्णय नहीं था.

Diese Geschichte stammt aus der August 21, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.

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