भारत के लिए वैश्विक शक्ति बनने का सबसे अच्छा तरीका आर्थिक वृद्धि की सालाना दर को 8 फीसद से ऊपर बनाए रखना है. ऊंची वृद्धि दर गरीबी को जड़ से उखाड़ फेंकने, नागरिकों की जिंदगी में सुधार लाने और कर राजस्व कमाने का भी सबसे अच्छा तरीका है. कर राजस्व की जरूरत ऐसे प्रभावी सोशल सिक्योरिटी सिस्टम में धन लगाने के लिए है जो गरीबी के मुंह में जाने वालों को सहारा दे सके और उन्हें फिर उबरने में मदद कर सके. हम लगातार ऊंची वृद्धि दर कैसे हासिल कर सकते हैं?
भारतीय अर्थव्यवस्था का सीधा-सा लब्बोलुबाब यह है कि इनकम डिस्ट्रिब्यूशन के मामले में शीर्ष 10 फीसद ही या तो फर्म या कंपनी बनाते हैं या अच्छे वेतन वाली नौकरियां हासिल करते हैं. अगले 30-40 फीसद को अलग-अलग गुणवत्ता के रोजगार मिल जाते हैं जो शीर्ष 10 फीसद के हाथों निर्मित मांग को पूरा करते हैं. सबसे नीचे के 50-60 फीसद, भारत की वृद्धि की कहानी से मोटे तौर पर बाहर हैं. वे रहन-सहन का बुनियादी स्तर पाने और आर्थिक वृद्धि के कम से कम कुछ फायदे हासिल करने के लिए जनकल्याण कार्यक्रमों पर निर्भर हैं.
यह मॉडल हमारे लिए काफी हद तक कारगर रहा है और इसने 6 फीसद के आसपास वृद्धि दर दी है. 140 करोड़ लोगों के देश भारत की 10 फीसद आबादी भी इतनी बड़ी तो है ही कि नवाचार, स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के साथ विशाल वैश्विक क्षमता केंद्रों को स्टाफ देने सहित स्किल्ड सेवाओं के निर्यात को गति दे सके. अलबत्ता 8-10 फीसद की सतत वृद्धि हासिल करने के लिए हमें पूरी ताकत झोंकनी होगी. इसके लिए हमें भारत के आय वितरण के निचले 50 फीसद का कायापलट करके उन्हें जनकल्याण कार्यक्रमों के निष्क्रिय 'लाभार्थियों' से अपनी निजी और राष्ट्रीय वृद्धि में सक्रिय योगदान देने वाला बनाने की जरूरत है. लोग भी यही चाहते हैं. 2024 के चुनाव का एक प्रबल संदेश यह है कि मतदाता मुफ्त खाद्यान्न की भरोसेमंद आमद को सराहते हैं, पर इसके बजाए वे यह चाहेंगे कि उनके पास अच्छी नौकरी हो.
Diese Geschichte stammt aus der August 28, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der August 28, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.