भारत के केवल तीन प्रधानमंत्री माउंट 3.0 - यानी सत्ता में तीसरे कार्यकाल के दुर्लभ शिखर - की ऊंचाई पर पहुंचे. पहले दो जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी को अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान भारी उथल-पुथल का सामना करना पड़ा और वे अपना तीसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. नेहरू तीसरे कार्यकाल की शुरुआत गंभीर भूल कर बैठे जब भारतीय सशस्त्र बलों को 1962 में सरहद पर चीन के हाथों अपमानजनक हार झेलनी पड़ी. उनकी छवि और विश्वसनीयता को जबरदस्त चोट पहुंची और कार्यकाल खत्म होने से तीन साल पहले 1964 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी जीवनलीला का अंत हुआ.
उनके विपरीत इंदिरा लगातार तीसरा कार्यकाल नहीं जीत पाईं; दो कार्यकाल पूरे करने के बाद 1977 के आम चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा, जबकि उनके दूसरे कार्यकाल पर 1975 में उन्हीं के हाथों थोपे गई इमरजेंसी की कालिख पुती थी. अलबत्ता, जनता पार्टी का प्रयोग नाकाम होने के बाद 1980 में वे फिर धमाके के साथ सत्ता में लौटीं, लेकिन जल्द ही पंजाब में उग्रवाद से निबटते वक्त फिर जबरदस्त दुश्वारियों से घिर गईं. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे उग्रवादियों को खदेड़ने के लिए जून 1984 में उन्होंने ऑपरेशन ब्लूस्टार शुरू किया और उनके नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले को खत्म करवा दिया. मगर इसकी कीमत अपनी जान से चुकाई जब चार महीने बाद उनके अपने सिख पहरेदारों ने उनकी हत्या कर दी.
Diese Geschichte stammt aus der September 04, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der September 04, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.