राजधानी रांची से 410 किलोमीटर दूर पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बड़ा कोरिया गांव में डायरिया फैल गया है. दो लोगों की मौत हो चुकी है और 20 लोग बीमार थे. पूरा गांव पहाड़िया जनजाति का है. कुछ को अस्पताल, तो बाकियों को गांव में ही खाट पर लिटाकर सलाइन ड्रिप चढ़ाया गया. गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए आठ किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. उसके लिए भी तीन पहाड़ों पर चढ़ना और उतरना होता है. पूरे झारखंड में तीन पहाड़िया आदिम जनजाति है. पहला माल पहाड़िया कुमारभाग पहाड़िया, जिसकी आबादी साल 2011 की जनगणना के मुताबिक 1,35,797 है और दूसरा सौरिया पहाड़िया, जिसकी आबादी 46,222 है. वहीं झारखंड में आठ और देशभर में 75 आदिम जनजाति हैं.
मृतक 26 वर्षीय बिंजामिन पहाड़िया की 24 वर्षीया पत्नी जाबरी पहाड़िन बीते रविवार को अपने पति की कब्र पर संबंधित रिवाजों को पूरा कर घर लौटी थीं. साथ में उनका छह साल का बेटा बमना पहाड़िया भी था. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, "27 अगस्त की रात को अचानक उनके पति को दस्त और उल्टी होने लगी. डॉक्टर ने सलाइन चढ़ाई लेकिन 28 की रात आते-आते वे मर चुके थे." इसी गांव की 39 वर्षीया अंदारी पहाड़िन की भी मौत हो चुकी है. उनकी तीन साल की बेटी भी डायरिया से ग्रस्त है. लगभग 45 बच्चों वाले इस गांव में सूरजा पहाड़िया एकमात्र ऐसा बच्चा है, जो स्कूल जाता है.
हालांकि जिला चिकित्सा पदाधिकारी मंटू टेकरीवाल इससे इनकार करते हैं कि दोनों की मौत डायरिया से हुई. वे कहते हैं, "दोनों केस का वर्बल ऑटॉप्सी (मौखिक पोस्टमार्टम) हुआ. अंदारी पहाड़िन को सांस से संबंधित समस्या थी. वहीं बेंजामिन को छह महीने पहले दिल्ली में कुत्ते ने काटा था. उसे काली खून की उल्टी हो रही थी, दस्त के लक्षण नहीं थे."
Diese Geschichte stammt aus der September 18, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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