दवाओं के प्रति संवेदनशील ट्यूबरकुलोसिस या तपेदिक (डीएस-टीबी) से जूझ रही गुरुग्राम की 34 वर्षीया अनुराधा कपूर (बदला हुआ नाम) के लिए उनकी जरूरतों के हिसाब से बना गोलियों का डिब्बा जीवनरक्षक बन गया है. विटामिन और हर्बल सप्लीमेंट सहित रोज 16 दवाइयां लेना और संभालना उनके लिए बेहद मुश्किल बना हुआ था जब तक कि इस सीधे-सादे समाधान ने उनके इलाज को आसान नहीं बना दिया. इसके उलट ठाणे के 67 वर्षीय पूर्व प्लंबर फैजान खान अपने टीबी के इलाज को 'नारकीय' बताते हैं. लक्षणों में सुधार के बावजूद रोज कई सारी गोलियां लेना सिरदर्द बना हुआ था. अपने उस दोस्त की याद उन्हें भुलाए नहीं भूलती जिसे दवा प्रतिरोधी ट्यूबरकुलोसिस (डीआरटीबी) हुआ था और समय से पहले दवाई बंद कर देने के बाद उनकी जान लेकर ही गया. यही वजह थी कि वे इस मुश्किल इलाज पर लगातार टिके रहे.
तपेदिक जिद्दी किस्म के माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से पैदा बैक्टीरिया का संक्रमण है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को निशाना बनाता है और हल्की खांसी, छींक या थूक को भी इस रोग के संभावित वाहक में बदल देता है. इसकी वजह से लगातार खांसी, बुखार, रात में पसीना और वजन घटना आम बात है. लेकिन अगर इलाज न किया जाए तो टीबी की वजह से फेफड़ों को नुक्सान, मेनिनजाइटिस या दूसरे अंगों के संक्रमण सरीखी गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. मार्च 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत में टीबी को जड़ से खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई, जबकि बाकी दुनिया टीबी से जुड़ा सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2030 तक हासिल करने का इरादा लेकर चल रही है. दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 2023 की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में टीबी का सबसे ज्यादा फैलाव भारत में है, जहां 2022 में दुनिया भर के कुल मामलों के करीब 27 फीसद थे. उसी साल भारत में इस बीमारी से 3,31,000 जानें गईं, जो दुनिया भर में दर्ज 13 लाख मौतों की एक-चौथाई थीं. इंडिया टीबी रिपोर्ट 2024 बताती है कि 2023 में देश में 25.5 लाख मामले पाए गए. इनमें मल्टीड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर-टीबी) यानी कई दवाइयों की प्रतिरोधी तपेदिक के 63,939 मामले थे, जो डीएस- टीबी के इलाज में सबसे पहले इस्तेमाल की जाने वाली कम से कम दो सबसे ताकतवर दवाओं के प्रतिरोधी स्ट्रेन से होता है.
Diese Geschichte stammt aus der September 18, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der September 18, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.