रतन टाटा 1937-2024
उद्योग जगत के महानायक का व्यक्तित्व इतना विविधतापूर्ण है कि उसे किसी एक फ्रेम में समाहित नहीं किया जा सकता. रतन नवल टाटा न केवल दूरदर्शी थे बल्कि उस मुकाम तक पहुंचने के लिए अपने पंखों को फैलाने का माद्दा भी रखते थे. वे ऐसे इंसान थे जिन्होंने हमेशा बड़े सपने देखने का साहस दिखाया और उनके पास इन्हें साकार करने के लिए पूरी बारीकी से हर कड़ी को जोड़ने की काबिलियत भी थी. लेकिन वे अपनी इस महानता को हमेशा दुर्लभ विनम्रता और परोपकार की भावना के पीछे छिपाए रहे. आमतौर पर मीडिया से ज्यादा बातें न करने वाले टाटा ने 2021 में एक बड़ी ही खास बातचीत में कहा, "मैं एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद किया जाना चाहूंगा जिसने चीजों को देखने के हमारे तरीके में कुछ बदलाव किए हों." साथ ही जोड़ा, "किसी ऐसी चीज के इनोवेटर के तौर पर जो लोगों की नजर में अव्यावहारिक और असंभव रही हो."
रतन टाटा का 9 अक्तूबर की रात को 86 वर्ष की उम्र में मुंबई में उम्र संबंधी बीमारी के कारण निधन हो गया. वे अपने आप में बहुत खास थे या फिर उससे भी कहीं ज्यादा थे. 1991 में जब उन्होंने जेआरडी टाटा से टाटा समूह की बागडोर संभाली, तो यह उनके लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी. रतन टाटा जेआरडी से बहुत ज्यादा प्रभावित थे और उनकी तरह ही विमान उड़ाने और इलेक्ट्रॉनिक्स में गहरी रुचि रखने वाले थे. बाद में उन्होंने कहा था, "जे (जेआरडी) विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे. वे प्रवेश के लिए कतार में खड़े होते थे, और अपनी कार खुद चलाते थे. मैंने उनसे जो सीखा और जिस पर आज भी अमल करता हूं, वह यह कि न्याय की भावना हमेशा बनी रहनी चाहिए. उन्होंने हमेशा सही को चुना, भले ही रास्ता कितना भी मुश्किल क्यों न रहा हो और हमेशा सिद्धांतों के लिए तथा लोगों के साथ खड़े रहे."
Diese Geschichte stammt aus der October 23, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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