पिछले साल नवंबर में एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में भारी निराशा हाथ लगी थी, जिसकी कसक इस साल जून में टी20 विश्व कप में शानदार जीत से छू-मंतर हो गई. पूर्व की हार का हिस्सा रहे कई लोगों के लिए मानो यह सीने से किसी बोझ के उतरने का शानदार पल था. खेल में हमारे देश के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों के इस साल के जश्न में ऐसी शख्सियतें अधिक हैं जो अग्निपरीक्षा से गुजरी हैं और नई चमक के साथ उस मुश्किल से बाहर निकली हैं. हमारी क्रिकेट की दुनिया के दो दिग्गज, भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और टीम के साथी विराट कोहली बारबेडोस फाइनल में अपने सीने से बोझ उतारने में कामयाब रहे और सूर्यकुमार यादव भी, जो हर दिन अपनी बल्लेबाजी के जरिए असंभव को भी सामान्य बनाने का आनंद उठाते हैं.
क्रिकेट की पिच से इतर देखें, तो यह साल हमारे ओलंपिक खिलाड़ियों के लिए भी आसान नहीं रहा. ओलंपिक के हमारे कई स्टार दावेदार चूक गए और पदक हासिल नहीं कर सके. मगर अपने सीने से बोझ का उतरना यहां फिर से प्रमुख बात बन गई. पिस्टल क्वीन मनु भाकर इस साल पेरिस ओलंपिक में एक नहीं बल्कि दो पदक हासिल करके टोक्यो ओलंपिक की कसक मिटाने में सफल रहीं. भारत की हॉकी टीम स्वर्ण पदक की काफी प्रबल दावेदार थी, मगर अंत में इसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. उसी जीत में कप्तान हरमनप्रीत सिंह की बड़ी भूमिका थी, और टूर्नामेंट में उनके 10 गोल उसी दास्तान का हिस्सा हैं.
खेल के अन्य मामलों में भी युवा दुनिया पर छा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के चेयरमैन जय शाह, महज 35 साल की उम्र में इस अव्वल पद पर पहुंचने वाली सबसे युवा शख्सियत हैं. वहीं, 18 साल के डी. गुकेश पहले से ही विश्व शतरंज चैंपियनशिप चैलेंजर हैं. ये लोग फिर से इस बात को साबित करते हैं कि भारत में खेल का भविष्य सुरक्षित हाथों में है.
दे दनादन
टेस्ट, वनडे और टी20 में रोहित ने हैरतअंगेज तरीके से 620 छक्के लगाने का रिकॉर्ड बनाया. यह बेहद खास उपलब्धि है। क्योंकि कोई भी सक्रिय क्रिकेटर 350 छक्के भी नहीं लगा सका है
Diese Geschichte stammt aus der November 13, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der November 13, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.