ताला स्थित पार्क मुख्यालय के वायरलेस पर घनघनाते हुए खबर पहुंची कि बफर जोन के गांव सलखानिया के पास चार हाथी मृत पाए गए हैं और कुछ दूसरे हाथियों की हालत गंभीर है. कान्हा और पेंच राष्ट्रीय उद्यानों और जबलपुर के स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक ऐंड हेल्थ से तुरंत पशु चिकित्सा सहायता भेजी गई.
मेडिकल टीम जब वहां पहुंची, तो मंजर खासा डरावना था. चार हाथी मृत पड़े थे, और झुंड के दूसरे छह हाथी दर्द से तड़प रहे थे. बाकी तीन स्वस्थ हाथी पैदा हुए हालात को लेकर इतने सतर्क थे कि वे किसी को भी पास फटकने नहीं दे रहे थे. अंत में पटाखों की आवाज से उन्हें थोड़ी दूर किया गया और फिर बीमार हाथियों को जहरीले पदार्थ का असर कम करने के लिए आइवी फ्लूइड्स और दूसरी जरूरी दवाइयां दी गईं. अंधेरे में गाड़ियों की हेडलाइट्स के नीचे यह बचाव कार्य चलता रहा. यह एक बहुत लंबी और दुखद रात साबित हुई. बांधवगढ़ में पिछले छह वर्ष में आकर बसे लगभग 40 हाथियों में से 10 यानी एक-चौथाई की जान जा चुकी थी. घटनास्थल पर पहुंचे बांधवगढ़ के पशु चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता बताते हैं, "हाथी मदद की उम्मीद में सिर उठाने की कोशिश करते लेकिन तुरंत ही गिर जाते. इस दौरान इलाज करने वाले एक रेंजर को चोट आई और उनको फ्रैक्चर हो गया. हम बीमार हाथियों को फ्लुइड दे रहे थे और आगे के इलाज के बारे में परामर्श के लिए दूसरे कॉलेजों के पशुचिकित्सकों के साथ संपर्क बनाए हुए थे." डॉ. गुप्ता के मुताबिक, मरने वाले हाथियों में से कुछ पूरी तरह वयस्क भी नहीं हुए थे.
Diese Geschichte stammt aus der November 20, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.
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