![और उस योगी ने मृत चिड़िया को जीवित कर दिया....](https://cdn.magzter.com/1382621400/1679744238/articles/Af7d-A5ky1679919997303/1679920265506.jpg)
प्राचीन ऋषि-मुनियों ने मन की शक्ति को अच्छी प्रकार समझा था। मन को वश में रखकर उससे इच्छानुसार कार्य लेना ही योगाभ्यास है। मनुष्य के उत्थान एवं पतन का कारण मन ही है। जिसने मन को वश में कर लिया, उसके लिए कोई भी वस्तु अप्राप्य नहीं है।
आत्मतेज का प्रभाव
गीता एवं विष्णुपुराण के अनुसार मोक्ष एवं बन्धन का मूल कारण मन ही है। मन को एकाग्र कर उसे एक जगह केन्द्रित करने से मनुष्य में अद्भुत आत्मतेज का विकास होता है। इस आत्मतेज को संस्कृत में 'तेजस' एवं अंग्रेजी में 'औरा' (Aura) कहते हैं। आत्मतेज के परमाणु इतने सूक्ष्म हैं कि हम उन्हें स्थूल दृष्टि से नहीं देख सकते हैं। नेत्रों और अंगुलियों से यह आत्मतेज की सक्रिय विद्युत् शक्ति प्रचुर मात्रा में निकलती है।
इसलिए भारत, मिस्र एवं यूनान आदि देशों में योगियों के बारे में कहा जाता है कि वे किसी के भी सिर पर हाथ फेरकर उसे ठीक कर देते थे। किसी तेजस्वी योगी के नेत्रों से कोई दुर्बल एवं जही पुरुष नेत्र नहीं मिला सकता। इसका प्रमुख कारण आत्मतेज ही है। देवताओं की मूर्तियों के बाहरी आवरण में भी ऐसी विद्युत् तरंगें प्रवाहित होती रहती हैं। ये भक्तो, साधकों और सन्तों के प्रवचनों, भजनों के गायन आदि से उत्पन्न होती हैं।
Diese Geschichte stammt aus der April-2023-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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![एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/wx1Dd0-dn1717490549774/1717490752361.jpg)
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
व्रत और उपवास भारतीय जनमानस में गहरे गुँथे हुए शब्द हैं। 'व्रत' का अर्थ होता है, 'संकल्प हैं। लेना' अर्थात् अपने मन और शरीर की आवश्यकताओं को नियंत्रित करते हुए स्वयं को संयमित करना।
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पवित्र दिवस है गंगा-दशहरा
गंगा दशमी न केवल पूजा-पाठ और अध्यात्म तक सीमित रहना चाहिए वरन् इसके साथ-साथ हमें गंगा नदी के संरक्षण और गंगा जल जैसे पक्षों पर शोध की दिशा में भी आगे बढ़ना चाहिए।
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मनोचिकित्सा से आरोग्य लाभ
आरोग्य की दृष्टि से शारीरिक रोगों के साथ-साथ मानसिक व्याधियों की भी मुख्य भूमिका रहती है।
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हनुमान् 'जयन्ती' या 'जन्मोत्सव'?
मूल रूप से 'जयन्ती' शब्द ' जन्मदिवस' या 'जन्मोत्सव' के रूप में प्रयुक्त नहीं होता था, परन्तु श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के एक भेद के रूप में कृष्ण जयन्ती से चलते हुए यह शब्द अन्य देवी-देवताओं के जन्मतिथि के सन्दर्भ में भी प्रयुक्त होने लगा।
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पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और नवनिर्मित कोरीडोर-टर्मिनल
आखिर ऐसा क्या है कि इतना प्रसिद्ध तीर्थस्थल होने के बाद भी गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या जैसी उम्मीद की गई थी, उसकी तुलना में हमेशा ही बहुत कम रहती है।
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शनि साढ़ेसाती और मनुष्य के जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र अति प्राचीन काल से जाना जाता है। सिद्धान्त, संहिता तथा होरा नामक तीन स्कन्धों से युक्त इसे 'वेदों का नेत्र' कहा गया है। वैसे तो वेद के दो नेत्र होते हैंस्मृति और ज्योतिष।
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गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन
यदि ग्रह गोचराष्टक वर्ग में 4 या अधिक रेखाओं वाली राशि पर गोचर कर रहा है, तो जिन-जिन कक्षाओं में उस राशि को शुभ रेखाएँ प्राप्त हुई हैं, उन कक्षाओं के स्वामी ग्रह के जन्मपत्रिका में भावों और नैसर्गिक कारकत्वों से सम्बन्धित शुभफलों की प्राप्ति होती है।
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सप्तर्षि और सप्तर्षि मण्डल
प्रत्येक मनु के काल को मन्वन्तर कहा जाता है। प्रत्येक मन्वन्तर में देवता, इन्द्र, सप्तर्षि और मनु पुत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे ही मन्वन्तर बदलता है, तो मनु भी बदल जाते हैं और उनके साथ ही सप्तर्षि, देवता, इन्द्र आदि भी बदल जाते हैं।
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
![सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1679328/vHJD203bs1714473957430/1714474112917.jpg)
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।