गंगातट पर चल रही रामकथा का आज 25वाँ दिन है। श्रोताओं से कथा पाण्डाल लगभग भर चुका है। फिर भी श्रद्धालुओं के झुण्ड के झुण्ड कथा सुनने के लिए बढ़ते चले आ रहे हैं। आयोजकों को उम्मीद है कि आज कथा में अधिक लोगों की आवक रहेगी, जिसके लिए उन्होंने पर्याप्त व्यवस्था करने का प्रयास किया है। अस्थायी पाण्डाल की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही, बैठने का इन्तजाम भी किया गया है। नियत समय पर स्वामी जी कथा-मंच पर आते हैं और सदैव की भाँति गुरु वन्दना, गणेश वन्दना, रामचन्द्र जी एवं हनुमान् जी की वन्दना, महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास जी की वन्दना करने के उपरान्त रामचरितमानस के आरम्भ में दी गई 'जो सुमिरत सिध होय' वन्दना करने के उपरान्त कथा का आरम्भ करते हैं।
स्वामी जी कहते हैं कि आज कथा का 25वाँ दिन है। आज हम रामचरितमानस के षष्ठ सोपान 'लंकाकाण्ड' की कथा का आरम्भ कर रहे हैं। पहले स्तुति करेंगे और फिर कथा आगे बढ़ाते हैं।
॥ श्री गणेशाय नमः ॥
श्री जानकी वल्लभो विजयते श्रीरामचरितमानस षष्ठ सोपान : लंकाकाण्ड रामं कामारिसेव्यं भवभयहरणं कालमत्तेभसिंहं योगीन्द्रं ज्ञानगम्यं गुणनिधिमजितं निर्गुणं निर्विकारम्।
मायातीतं सुरेशं खलवधनिरतं ब्रह्मवृन्दैकदेवं वन्दे कन्दावदातं सरसिजनयनं देवमुर्वीशरूपम् ॥
शंखेन्द्वाभमतीवसुन्दरतनुं शार्दूलचर्माम्बरं कालव्यालकरालभूषणधरं गंगाशशांकप्रियम्।
काशीश कलिकल्मषीघशमनं कल्याणकल्पद्रुमं नौमीड्यं गिरिजापतिं गुणनिधिं कन्दर्पहं शंकरम्।।
यो ददाति सतां शम्भुः कैवल्यमपि दुर्लभम्।
खलानां दण्डकृद्योऽसौ शंकरः शं तनोतु मे ॥
लव निमेष परमानु जुग बरष कलप सर चंड।
भजसि न मन तेहि राम को कालु जासु कोदंड ॥
Diese Geschichte stammt aus der September 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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