शिव-शक्ति के महामिलन का दिवस है महाशिवरात्रि
Jyotish Sagar|March 2024
शिव का अर्थ है 'कल्याणकारी'। सृष्टि के कल्याण के लिए ही समुद्र मन्थन से उत्पन्न विष को अपने कण्ठ में उतारा और 'नीलकण्ठ' बन गए। शिव का जो कल्याण करने का भाव है, वही 'शिवत्व' कहलाता है। 'शिवोहम्' का उद्घोष वही व्यक्ति कर सकता है, जो स्वयं के भीतर इस शिवत्व को धारण कर लेता है। उसे अपने आचारव्यवहार में उतार लेता है। महाशिवरात्रि पर शिव की उपासना तभी सार्थक होती है, जब हम दूसरों के कल्याण के लिए विष पीने को भी उद्यत हो जाएँ। इसी तरह हम शिवत्व प्राप्त कर सकते हैं।
डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम
शिव-शक्ति के महामिलन का दिवस है महाशिवरात्रि

शिव ने शिव के विष पीने के कारण ही समुद्र मन्थन में देवताओं को अमृत सुलभ हो सका और कुम्भ में वही अमृत हम लोगों तक पहुँचता है। इतना ही नहीं, भगवान् शिव ने ही देवी गंगा को अपनी जटाओं में धारण करके पृथ्वी पर लाने का मार्ग प्रशस्त किया था। इसके अतिरिक्त शिवजी को 'त्र्यम्बक' भी कहा जाता है।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

‘त्र्यम्बक' गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी है, जिसके देवता स्वयं महादेव हैं। फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी में उपवास, रात्रि जागरण और शिवार्चन करने का विधान है। 'उपवास' का तात्पर्य मात्र भोजन का त्याग नहीं है। शास्त्रों के अनुसार इष्टदेव (शिव) के समीप वास ही 'उपवास' कहा जाता है। भविष्यपुराण का कहना है कि उपवास से तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं। देवीपुराण में कहा गया है कि भगवान् शिव का ध्यान, पूजन, स्तोत्र पाठ आदि के साथ निवास (रहना) करना ही सच्चा उपवास है। उपवास से इन्द्रियों को संयम के अनुशासन में लाया जाता है।

ईशान संहिता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की अर्द्धरात्रि में शिवलिंग सर्वप्रथम प्रकट हुए थे। अनेक पुराणों में इस विधि को शिव-शक्ति के महामिलन की तिथि बताया गया है। इस कारण 'शिवरात्रि' के दिन शिव-पार्वती का विवाहोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। सही मायनों में 'शिवरात्रि ' शिवत्व प्रदान करने वाली रात्रि है। शिवरात्रि के आध्यात्मिक संदेश को जानना भी आवश्यक है।

शिव का माहात्म्य

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