वायुनां शोधकाः वृक्षाः रोगाणामपहारकाः।
तस्माद् रोपणमेतेषां रक्षणं च हितावहम्।।
हमारे वैदिक शास्त्र में वृक्षों के बारे में बहुत ही सुन्दर उल्लेख लिखा गया है कि वृक्ष वायु को शुद्ध करते हैं और रोगों को दर भगाने में सहयोगी होते हैं। इसलिए वृक्षों का रोपण और रक्षण प्रत्येक मनुष्य के लिए बहुत ही आवश्यक है।
वास्तुशास्त्र में भी पेड़ों की महिमा का वर्णन और उनकी दिशाओं का वर्णन मिलता है। वास्तु के अनुसार यदि आप किसी पेड़ को उसकी उपयुक्त दिशा में लगाते हैं, तो उसके गुणधर्म पर विशेष प्रभाव पड़ता है और उससे निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा का संचार उस स्थान में एक सुखद अनुभूति का अहसास करवाती है।
1. कई वृक्ष ऐसे होते हैं, जो दिशा विशेष में स्थित होने पर शुभ अथवा अशुभ फल प्रदान करते हैं; जैसे—
• पूर्व दिशा में लगा हुआ पीपल का पेड़ वहाँ के निवासियों के मन में भूत-प्रेत एवं आत्मा का डर पैदा करता है तथा जैसे-जैसे पेड़ बड़ा होता है, वैसे-वैसे घर में आर्थिक तंगी उत्पन्न करता है।
• ईशान दिशा में वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियाँ देने वाले होते हैं।
• अग्निकोण (South-East) में अनार का पेड़ लगाना शुभ होता है।
• दक्षिण दिशा में पाकड़ बीमारियाँ तथा स्वास्थ्य को खराब करने वाला होता है। आम, कैथ, अगस्त्य तथा निर्गुण्डी धन की समस्याओं को देते हैं, परन्तु गूलर का पेड़ शुभ माना जाता है।
• नैर्ऋत्य दिशा (South-West) में इमली का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है।
• दक्षिण-नैर्ऋत्य दिशा में जामुन और कदम्ब का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है।
Diese Geschichte stammt aus der April 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
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