लग्न हमारे शरीर का प्रतीक है। जिस स्थूल शरीर को लेकर प्राणीमात्र जन्म लेता है, वही लग्न है। तभी तो जन्मपत्रिका का प्रथम भाव लग्न कहलाता है। लग्न को प्रथम भाव मानकर जब हम जन्मपत्रिका के अन्य भावों का विश्लेषण करते हैं, तो इसका अर्थ यह है कि हम अपने शरीर से सम्बन्धित सभी वस्तुओं की विवेचना कर रहे हैं। शरीर के बिना तो जीवन ही सम्भव नहीं है। इसलिए लग्नकुण्डली का अत्यधिक महत्त्व होता है।
जिस प्रकार लग्न हमारे शरीर की व्याख्या करता है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारे मन का प्रतीक है। चन्द्रमा जल का भी प्रतीक है और मन का भी । इसलिए वह जल की भाँति चंचल होता है। हमारे शरीर का 70 फीसदी भाग जल ही है, तभी तो ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा का अत्यधिक महत्त्व है। जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है। चन्द्रमा हमारे मन, स्मरण शक्ति, भावनाओं, संवेदनाओं, व्यवहार, स्वभाव इत्यादि का कारक होता है। यहाँ तक कि जन्म-जन्मान्तरों के वे सभी संस्कार, जो मन की स्मरण शक्ति के कारण उस पर अंकित हो जाते हैं, चन्द्रमा के अन्तर्गत ही आते हैं।
इन्हीं पूर्वजन्म के संस्कारों के कारण ही तो मनुष्य का स्वभाव निर्मित होता है। तभी तो कोई बच्चा जन्म से ही हँसमुख होता है तथा इसके विपरीत कोई दूसरा बच्चा जन्म से गुस्सैल होता है।
यह बात और है कि जैसे जैसे समय बीतता है, बच्चा इस जन्म के संस्कारों को भी ग्रहण करता चला जाता है और उसके स्वभाव में परिवर्तन होने लगता है। मन के जीते जीत होती है तथा मन के हारे ही हार होती है, तभी तो ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा अत्यधिक महत्त्वपूर्ण ग्रह है।
जन्मपत्रिका के कई योग चन्द्रमा को लेकर बनते हैं। जन्म के समय कौनसी दशा प्राप्त होगी? इसका निर्धारण भी चन्द्रमा की स्थिति से ही किया जाता है। चन्द्रमा से ही जन्मपत्रिका में जातक की राशि का निर्धारण किया जाता है। गोचर भी चन्द्रमा से ही देखा जाता है।
Diese Geschichte stammt aus der September 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
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सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
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सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।
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व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
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