
जो अश्लील कृत्य करते हैं वे तो तबाही के रास्ते जाते ही हैं किंतु कल्पित फिल्म के अश्लील दृश्यों को देखने से भी सत्यानाश हो जाता है, व्यक्ति दुश्चरित्रवान हो जाते हैं। कामुक या गंदे सीरियल, फिल्में देखकर कई युवक-युवतियाँ तबाह हो जाते हैं। एक फिल्म आयी थी - 'एक दूजे के लिए', उसे देखकर कई प्रेमी-प्रेमिकाएँ आत्महत्या करके मर गये।
कृष्णानगर (अहमदाबाद) की एक लड़की का किसी लड़के से प्रेम था, माँ-बाप ने दूसरी जगह उसकी सगाई कर दी तो उसने चिट्ठी लिख दी 'मरते एक दूजे के लिए' और धड़ाक! छत से गिरी और मर गयी। फलाना फलानी जगह गया, मर गया। वह फिल्म चली तो कई लोगों की मरने की खबरें आती थीं कि यह चिट्ठी मिली है: 'मरते एक दूजे के लिए'। जबकि फिल्म में अभिनयमात्र होता है, सचमुच अभिनेता-अभिनेत्री मरते नहीं हैं एक दूजे के लिए। यह झूठी कल्पना भी समाज को डुबा सकती है तो कभी-कभी भगवान के लिए भी कल्पना कर देते हैं कि 'भगवान ऐसे हैं, मंद-मंद मुस्करा रहे हैं, हमारे करीब आ रहे हैं, हमारा हालचाल पूछ रहे हैं, हमको सांत्वना दे रहे हैं, लुका-छिपी खेल रहे हैं' तो इस प्रकार भगवान के साथ कल्पना जुड़ती है तो कल्याण कर देती है। अतः भगवान को सखा मानो, पुत्र मानो, स्नेही मानो, उद्धारक मानो।
Diese Geschichte stammt aus der November 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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विरुद्ध आहार : स्वास्थ्य के लिए अदृश्य विष
जो पदार्थ रस-रक्तादि सप्तधातुओं के विरुद्ध गुणधर्मवाले व वात-पित्त-कफ इन त्रिदोषों को प्रकुपित करनेवाले हैं उनके सेवन से रोगों की उत्पत्ति होती है। इन पदार्थों में कुछ परस्पर गुणविरुद्ध, कुछ संयोगविरुद्ध, कुछ संस्कारविरुद्ध और कुछ देश, काल, मात्रा, स्वभाव आदि से विरुद्ध होते हैं।

आप राष्ट्र के भावी कर्णधार या अभिभावक हैं तो...
किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए जितनी आवश्यकता शिक्षित नागरिकों की मानी जाती है उससे भी कहीं ज्यादा नैतिकता से सुसम्पन्न चरित्रवान नागरिकों की होती है और बिना आध्यात्मिकता के नैतिकता टिक ही नहीं सकती।

जब तालियों की गड़गड़ाहट के बीच रो पड़े महात्मा
एक बार किन्हीं महात्मा को कुछ लोग खूब रिझा-रिझाकर अपने गाँव में ले गये। ब्रह्मवेत्ता, आत्मसाक्षात्कारी महापुरुष आ रहे हैं यह जान के गाँववालों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर उनके स्वागत की तैयारियाँ कीं। बड़ा विशाल मंच तैयार किया गया।

भगवान श्रीराम की गुणग्राही दृष्टि
जब हनुमानजी श्रीरामचन्द्रजी की सुग्रीव से मित्रता कराते हैं तब सुग्रीव अपना दुःख, अपनी असमर्थता, अपने हृदय की हर बात भगवान के सामने निष्कपट भाव से रख देता है। सुग्रीव की निखालिसता से प्रभु गद्गद हो जाते हैं । तब सुग्रीव को धीरज बँधाते हुए भगवान श्रीराम प्रतिज्ञा करते हैं :

गोरखनाथजी के तीन अनोखे सवाल
योगी गोरखनाथ अपने प्यारे शिष्य के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में प्यास लगी तो कुएँ पर पानी पीने गये। खेत में ज्वार के दाने चमक रहे थे, किसान ज्वार को पानी पिला रहा था। गोरखनाथजी ने पानी पिया और किसान से पूछा : \"ज्वार खा ली है कि खानी बाकी है?\"

इसका नाम है सेवा
एक गुरु के दो शिष्य थे। एक बेटा था, एक चेला था। गुरुजी ने दोनों से कहा : \"तुम लोग एक-एक चबूतरा बनाओ। उस पर बैठकर हम भजन किया करेंगे।\"

परम पद की प्राप्ति के लिए यह बहुत जरूरी है
हमारे परम हितैषी कौन?

यदि आप आदर्श नारी बनना चाहती हैं तो...
विश्व-इतिहास में जितनी भी सभ्यताएँ हैं उनका अध्ययन करें तो स्पष्ट हो जाता है कि नारी को जो दर्जा, सम्मान भारतीय संस्कृति में दिया गया है वैसा अन्य कहीं भी नहीं दिया गया। आधुनिक युग में पाश्चात्य देशों ने नारीवाद (feminism) के सिद्धांत का प्रचार किया और नारी-स्वातंत्र्य के नाम पर नारियों को ऐसे कृत्यों की तरफ अग्रसर कर दिया जो नारियों की प्रकृति के विरुद्ध होने से उनको दुःख देते हैं और उनकी गरिमा को धूमिल कर रहे हैं।

कौन कहता है भगवान आते नहीं...
१२ अप्रैल को हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

सारी बीमारियों का सबसे बड़ा इलाज
आपको यह जानकर खुशी होगी कि जब मैंने 'न्यू साइंस ऑफ हीलिंग' और 'रिटर्न टू नेचर' नाम की किताबें पढ़ीं तभी से मैं कुदरती इलाज का पक्का समर्थक हो गया था।