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“मैं आज भी थिएटर कर अपनी प्रतिभा को तराशता रहता हूं" ललित पारिमू
‘शक्तिमान' में डा. जैकाल के किरदार से मशहूर हुए अभिनेता ललित पारिमू संजीदा अभिनय के लिए जाने जाते हैं. इस समय वे फिल्म 'नार का सुर' को ले कर चर्चा में हैं. उन्होंने सिनेमा के बदलते दौर पर बात की.
दफ्तर में कर्म धर्म नहीं
तथाकथित किस्मत के भरोसे बैठे रहने से काम कभी पूरे नहीं होते. ऐसी सोच इंसान को खोखला कर देती है. जरूरी है कि कर्म पर भरोसा किया जाए, तभी सफलता हासिल होगी.
प्रायश्चित्त
सिया ने सोम की आंखों में प्यार की कशिश देखी तो वह उस की ओर खिंचती चली गई. सोम के प्यार में सिया ने कच्ची उम्र में मुसीबत सिर पर ले ली. अफसर बन जाने के बाद क्या सोम अपने प्यार सिया को पा सका? आखिर क्या था उन का प्रायश्चित्त?
दरकता दांपत्य और तलाक
आज के युग में दांपत्य जीवन दरक रहा है जिस के अनेक कारण हैं, पर कोर्ट में तलाक के बढ़ रहे मामलों का जल्द निबटान न होना भी तो एक प्रताड़ना से कम नहीं.
शाकाहारी बनें बीमारियों से बचें
मांसाहारी होना गुनाह नहीं पर शाकाहार की तरफ बढ़ने में कई तरह के फायदे हैं. आज कई सैलिब्रिटी शाकाहार की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. यदि आप भी शाकाहार अपनाना चाहते हैं तो यह जान लें.
औनलाइन पूजा दक्षिणा का षड्यंत्र
कोरोना के डर और लौकडाउन ने पुरानी धार्मिक परंपराओं को बदलने पर मजबूर किया है. दानदक्षिणा के लोभ में विज्ञान की पीठ पर सवार हो कर संतपुजारी भी हाईटैक हो गए हैं. कस्टमर छूट न जाए, इस के लिए औनलाइन पूजापाठ व वैबसाइटों की भरमार होने लगी है. सवाल यह है कि धर्म के नाम पर मुफ्त का माल उड़ाने वाली इस जमात पर भरोसा क्यों किया जाए?
अंगदान जिंदगियां बचाने का रास्ता
किसी को जीवन देना नेक काम होता है. अंगदान सोच पर निर्भर करता है, यदि आप दूसरों को जीवनदान देना चाहते हैं तो अंगदान एक बेहतर जरिया है.
रणवीर की न्यूड फोटो हंगामा क्यों बरपा है
रणवीर सिंह ने विदेशी मैगजीन के लिए न्यूड फोटोशूट किया तो हंगामा मच गया. आरोप लगा कि वे अश्लीलता फैला रहे हैं. सवाल यह कि इसे अश्लीलता माना जाए या कला का एक फौर्म?
सैलिब्रेशन है खुशहाली नहीं
देश अब इवैंटनुमा सैलिब्रेशन की तरफ बढ़ चला है. परिस्थिति भले फटेहाल हो पर खुद को तसल्ली देने के लिए वह कुछ न कुछ सैलिब्रेट करना चाहता है. सैलिब्रेशन कुछ देर के लिए भले मुसकान ले आए पर चीजें नहीं बदलतीं. चीजें बदलती हैं लंबी नीतियों से, जो देश में इस समय गायब हैं.
75 साल का हिंदी सिनेमा
सिनेमा देश की सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों की आवाज होता है. आजादी से पहले आम जनता को देशभक्ति के लिए खड़े होने को प्रेरित करने वाला सिनेमा था मगर आजादी के बाद यह देश को बहकाने, फुसलाने, बहलाने या अंधविश्वासी बनाने वाला बन गया है.
आधी आबादी आजादी का अधुरा उत्सव
आजाद भारत में 75 साल बाद भी बड़े पैमाने पर पुरानी मानसिकता कायम है. यह तय है कि संपत्ति, गर्भपात, तलाक, महिला आरक्षण व महिलाओं से जुड़े कानूनों का इस्तेमाल वही महिलाएं कर सकती हैं जो तार्किक और व्यावहारिक हैं, बाकी तो निर्जला रह कर चांद दिखने का इंतजार करती रहती हैं. आधी आबादी संवैधानिक आजादी का सपना भर देख रही है.
'फिल्म इंडस्ट्री एक बुक शौप की तरह है' - रामगोपाल वर्मा
'शिवा', 'सत्या', 'रंगीला', 'कंपनी' जैसी ट्रैंडसेटर फिल्में बनाने वाले रामगोपाल वर्मा फिल्म इंडस्ट्री में कई नामी निर्देशकों के गुरु रहे हैं. वे इस समय मार्शल आर्ट करती महिला केंद्रित फिल्म ले कर आए हैं.
सेहत के लिए विटामिन जरूरी क्यों?
सेहत के लिए विटामिंस की जरूरत होती है. हर विटामिन के अपने फायदे हैं. इन की कमी से शरीर को बीमारियां घेर लेती हैं. जानें शरीर के लिए विटामिन जरूरी क्यों हैं?
सोली ट्रेवलिंग मस्ती करें, महफूज भी रहें
घूमना एक कला है जो व्यक्तित्व को निखारता है और निडर बनाता है. देश में महिलाएं अब सोलो ट्रैवलिंग करने लगी हैं, जो साहस की बात है. बेहतर यह है कि कुछ बातें ऐसी ट्रिप पर जाने से पहले समझ लें ताकि आगे कोई दिक्कत खड़ी न हो.
गंभीर बीमारियों का मानसिक प्रभाव
गंभीर व लंबी बीमारियां जीवन में अवसाद भर देती हैं. नकारात्मक संभावनाओं का डर बीमारी को और भी ज्यादा जटिल बना देता है. ऐसे समय में क्या करें
सप्लीमैंट आज की जिंदगी में जरूरी
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत के लिए जरूरी सप्लीमैंट्स छूट जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि सही मात्रा में सप्लीमैंट्स लिए जाएं.
बचत प्रौपर्टी में सब से अच्छी व सुरक्षित
खुद का घर होना व्यक्ति के लिए सब से महत्त्वपूर्ण और बड़े वित्तीय निवेशों में से एक है. जमीन चाहे गांव में हो या शहर में, उस की कीमत लगातार बढ़ रही है. जहां बैंकों में ब्याज दर निरंतर कम होती जा रही है वहीं जमीन या घर भविष्य के लिए बड़ी वित्तीय सुरक्षा देता है.
पार्टीशन पर फिल्में और घाव महिलाओं में
सिनेमा और समाज का आपस में अटूट बंधन रहा है. बेहतर सिनेमा वही है जो समाज को आईना दिखा सके. अतीत में देश ने पार्टीशन की पीड़ा को झेला है, जिस पर कई फिल्में बनीं.
75 सालों में रसातल में रिसर्च
किसी भी देश की प्रगति में वहां की टैक्नोलौजी का बड़ा महत्त्व होता है. टैक्नोलौजी के लिए रिसर्च की जरूरत होती है. भारत मे साइंस और टैक्नोलौजी की फील्ड में सब से कम रिसर्च हो रही है. नतीजतन हमारे देश में जरूरत की हर चीज विदेशों से आई. जरूरत है कि रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए और इस को जनता के लिए उपयोगी बनाया जाए.
75 साल में महिलाएं शिक्षा, दिशा और दशा
आजादी के 75 सालों में भी भारत अपनी करोड़ों बेटियों के लिए प्राइमरी शिक्षा तक की व्यवस्था नहीं कर पाया. इस से बड़ी शर्म की बात क्या होगी? उन्हें सिर्फ धर्म और सिर झुकाने की शिक्षा दी जा रही है.
आजादी के 75 साल कुछ पाया बहुत बाकी
आम जनता ने आजादी के 75 सालों में बहुतकुछ हासिल किया पर बहुत पाना अभी बाकी है. भारत की तुलना चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, सिंगापुर से की जाए तो साबित होगा कि लोगों की हालत तो ठीक ही नहीं. ऐसे में शासन को खंगालने व वर्तमान को टटोलने की जरूरत है.
“मैं ने खुद के साथ सिनेमा को भी बदलने का प्रयास किया
फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे कलाकार हैं आर माधवन जिन्हें उत्तर से ले कर दक्षिण भारत तक दर्शकों का प्यार मिला. माधवन का सपना ऐक्टिंग का नहीं था पर वे आज जानेमाने कलाकारों में शामिल हैं. उन की सिनेमा जर्नी बेहद दिलचस्प रही है. वे फिलहाल फिल्म 'रौकेट्री...' ले कर आए हैं.
सोशल स्टेटस की मारी जनता
सोशल स्टेटस के लिए अपनी सीमा से ज्यादा खर्च करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक होता है. इस के चलते इंसान बहुत सारे अपराध व भ्रष्टाचार कर बैठता है. सोशल स्टेटस की कोई सीमा नहीं है. जितना इस के चंगुल में फंसोगे उतना खुद का नुकसान करोगे.
लालची धर्मांध नहीं सुधरेंगे
धार्मिक पूजापाठ में भक्त / श्रद्धालु इस तरह खोए रहते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे इस से प्रकृति और खुद को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं. यह इसलिए कि धार्मिक स्थलों में बैठे पंडेपुजारी अपने लिए दानदक्षिणा जुटाने के चलते उन्हें ऐसा सोचने ही नहीं देते.
महाराष्ट्र में उठा सियासी तूफान
बीते दिनों महाराष्ट्र में सियासी घमासान मचने से उद्धव ठाकरे की राकांपा और कांग्रेस के साथ बनी महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई. सरकार गिराने का कंधा भले बागी शिंदे गुट का रहा पर बंदूक बेशक भाजपा की रही. इस सियासी उठापटक का अंत जरूर हो गया पर नई उठापटक शुरू हो गई है.
ब्रिज द गैप बुजुर्गों के जीवन का आईना
हैल्पऐज इंडिया की रिपोर्ट 'ब्रिज द गैप' भारत में बुजुर्गों की हालत पर केंद्रित है. इस को आधार बना कर समाज और सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिस से कि बुजुर्गों का जीवन सरल व सहज हो सके.
गैर ऊंची जाति के राष्ट्रपतियों ने किया क्या?
वोटबैंक की राजनीति का विरोध करने वाली भाजपा द्वारा देश के सर्वोच्च पद पर दलित या आदिवासी व्यक्ति को बिठाना वोटबैंक की राजनीति के तहत ही खेला गया मास्टर स्ट्रोक है, जिस ने न सिर्फ राष्ट्रपति पद का राजनीतिकरण किया है, बल्कि देश के एक बहुत बड़े समुदाय से भावनात्मक छल किया है.
खतरनाक हैं औनलाइन गेम्स
कोविड के समय में मजबूरी में शुरू हुई औनलाइन पढ़ाई ने सभी बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन दे दिए हैं. यह फोन अब उन के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है. बच्चे फोन और लैपटौप पर औनलाइन पढ़ाई से ज्यादा औनलाइन गेम्स खेलना पसंद कर रहे हैं. इन औनलाइन गेम्स का नकारात्मक असर अब पूरी दुनिया के बच्चों और किशोरों में देखने को मिल रहा है.
ऐनी तुम कहां हो
क्लास में सब से अलग थी ऐनी. उस के लिए यह असंगत था कि वे पहले व्यक्ति का चयन करे, फिर बात कहे. उस के लिए सब बराबर थे. प्रोफैसर का उस से अपनत्व जुड़ा पर एक फासला अमिट था, जो सवालों में था जिस का जवाब वह ढूंढ़ नहीं पाए.
कोविड के बाद कम न हो आयरन
सेहत के लिए आयरन जरूरी है. कोविडकाल में लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से गुजरना पड़ा है. ऐसे में जरूरी है कि स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए और सही मात्रा में शरीर में आयरन की जरूरत पूरी की जाए.