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पौराणिक काल से चले आ रहे मंदिर,मठ और आश्रम में झगड़े
नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामला कोई नया मामला नहीं है. मंदिर, मठ और आश्रम के झगड़े काफी पहले से चलते आ रहे हैं. बदलाव यह आया है कि पहले ये झगड़े पद श्रेष्ठता के चलते होते थे, अब इन मठों में दानस्वरूप अथाह संपत्ति और धनवर्षा होने से इन का रूप दानपात्र पर नियंत्रण पाने का हो गया है.
परफोर्मेंस बढ़िया पर जयललिता के साथ अधूरा न्याय
यह फिल्म नएनए युवा हुए दर्शकों, जिन्हें 70-80 के दशक की ज्यादा जानकारी नहीं है, को देखनी ,चाहिए, अच्छी लगेगी.
कैप्टन हुए आउट चन्नी नए कप्तान
अपमान का बोझ लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जब इस्तीफा देने गवर्नर हाउस पहुंचे तो उस वक्त उन के साथ पत्नी परनीत कौर भी मौजूद थीं. राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को इस्तीफा सौंपने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुल कर कांग्रेस आलाकमान से अपनी नाराजगी जाहिर की.
अब सोनू सूद पर आयकर विभाग की रेड
ऐसा पहली बार नहीं है कि सत्ता को उस की खामियों का एहसास कराने वाले किसी व्यक्ति को जांच एजेंसियों के उत्पीड़न से गुजरना पड़ा हो. हर्ष मंदर, यूथ कांग्रेस के श्रीनिवास बीवी, सिद्दीक कप्पन जैसे बहुतेरे नाम हैं.
भिक्षावृत्ति महानवृत्ति
कहने को यह देश युवाओं का है, यहां 65 प्रतिशत युवा रहते हैं पर असल में यह बूढ़ों और भिखारियों की संस्कृति का देश बन चुका है. यहां जवानी पैदा नहीं होती, बल्कि जवान होने से पहले ही युवाओं को बूढ़ा कर दिया जाता है. ऐसे में फिर कैसे महान बना जा सकता है?
"एलजीबीटी समुदाय का इंसान भी हमारे जैसा ही है" -फराज अंसारी
सिनेमा में फराज अंसारी एलजीबीटीक्यू समुदाय के चित्रण को ले कर विशेष समझ रखते हैं. उन का मानना है कि एक 'गे' फिल्मकार ही सिनेमा में 'गे' किरदार को असल न्याय दे सकता है. इसीलिए समाज की समलैंगिकता, स्त्री व मुसलिम विरोधी प्रकृति को उजागर करने के मकसद से वे फिल्म 'शीर कोरमा' ले कर आए हैं.
राष्ट्रीय संपत्तियों की सेल का बाजार
निजीकरण के दौर में सबकुछ खोता जा रहा है. बढ़ते प्राइवेटाइजेशन में लोगों को अधिकार देना तो दूर, सरकार को उन के हितों के बारे में सोचने तक की फुरसत नहीं है. वह सिर्फ निजी हाथों को मजबूत करने में लगी हुई है. निजी व्यवस्था में पूंजीपति कमा रहे हैं और जनता भूखी मर रही है.
महाशक्ति की महा हार
अफगानिस्तान ने अमेरिकी फौज को बाहर का रास्ता दिखाया है, उस ने अमेरिका के ढहते प्रभुत्व को दुनिया के सामने उजागर कर दिया है. दुनियाभर में यह संदेश भी गया कि अमेरिका ऐसा देश है जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता और वह दुनिया का पुलिसमैन नहीं रह गया है. यह हार लड़ाकू तालिबानियों के दम के चलते ही नहीं हुई बल्कि अंदर से खोखले होते अमेरिका के कारण भी हुई है.
युद्ध में औरतें होती हैं जीत का पुरस्कार
इतिहास गवाह है, किसी भी युद्ध में धरती के बाद यदि किसी को पैरोंतले रौंदा जाता है तो वे औरतें होती हैं. चाहे कब्जा किसी का हो, औरतें हमेशा बर्बर युद्धवीरों के लिए जीत का इनाम होती हैं. औरतें न सिर्फ हवस पिपासा के लिए न शिकार बनाई जाती हैं, बल्कि उन की देह पर कब्जे को जीत के शंखनाद के रूप में समझा जाता है, तभी तो अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा महिलाओं को डरा रहा है.
भूस्खलन का दंश झेलते पर्वतीय क्षेत्र
कोई भी शर्त एकतरफा लागू नहीं हो सकती, शर्त ऐसी हो कि जिस पर दोनों की सहमति हो. पर मानव ने प्रकृति पर लंबे समय से एकतरफा दोहन की शर्त रखी है जिसे वह अब भुगत रहा है.
जातीय जनगणना क्या एकजुट होंगे पिछड़े
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को लगता है कि जातीय जनगणना से पिछड़ी जातियों का वोटबैंक मजबूत दिखेगा, जिस से उन को लाभ होगा. जातीय जनगणना के सहारे वे भाजपा के जनसंख्या कानून मुद्दे को भी पीछे धकेलना चाहते हैं.
नीतीश कुमार पीएम मैटीरियल या पलटीमार
बिहार की राजनीति के क्या ही कहने, यहां कब कौन सियासी दांव खेल जाए, कहा नहीं जा सकता. इन दिनों नजरें फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिक गई हैं, उन का बदलाबदला मिजाज फिर खटकने लगा है. बहस है उन के पीएम मैटीरियल या पलटीमार मैटीरियल होने की.
पुनर्विवाह में झिझक सही नहीं
हर व्यक्ति को उम्र के हर पड़ाव में साथी की जरूरत जरूर पड़ती है चाहे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए या शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए. इंसान सामाजिक प्राणी है तो समाज से अलग कट कर नहीं रह सकता. जीवनसाथी की जरूरत भी सामाजिक जरूरत के दायरे से अलग नहीं है.
अमूल्य है गाय तो फिर दान क्यों?
इन दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट सुखियो में है. इस की वजह गौकशी से जुड़े मामले में गायों को ले कर उस की टिप्पणी है. कोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही व गाय को एकमात्र पशु बताया जो औक्सीजन लेती व छोड़ती है. 12 पन्ने के कोर्ट के आदेश में गायों से जुड़ी ऐसी कई बाते हैं जिन्हें मौडर्न साइंस मान्यता नहीं देती है.
लाठीडडे नहीं समाधान मांगता है युवा
आज युवा रोजगार मांग रहे हैं तो उन्हें यहांवहां की अनर्गल घुट्टी पिलाई जा रही है. सरकार के पास भटकाने के रास्ते हैं, समाधान के नहीं. मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने नौकरी मांग रहे बेरोजगार युवाओं पर लाठीडंडे चला कर यह साबित कर दिया है कि वह इन मुद्दों पर संवेदनशील नहीं है.
क्यों आते हैं कम उम्र में हार्टअटैक
महज 40 की उम्र में ऐक्टर सिद्धार्थ शुक्ला इस दुनिया को अलविदा कह गए. उन की मौत हार्टअटैक से हुई. युवावस्था में हार्टअटैक आना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. आइए जानें क्यों और क्या हैं इस के बचाव.
जल्दीजल्दी खाने की आदत पैदा कर सकती है मुसीबत
आज की दौड़भाग भरी जिंदगी में खाना तो नसीब है लेकिन उसे चबाना नहीं. हर कोई जल्दीजल्दी खा लेना चाहता है. लेकिन ध्यान रहे, यह आदत भविष्य में मुसीबत बन सकती है.
तेरा यार हूं मैं
अनुशासन के नाम पर बच्चों पर अत्यधिक नियंत्रण उलटा साबित हो सकता है. यदि आप चाहते हैं कि आप के बच्चे आप से खुल कर घुलेंमिलें तो अभिभावक से एक कदम आगे बढ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाएं.
जमीन में हिस्सेदारी विधवाओं की जान पर भारी
जो समाज महिलाओं की ऊंची आवाज बरदाश्त नहीं कर सकता, क्या वह किसी विधवा महिला की जमीन में हिस्सेदारी बरदाश्त कर सकता है...
जनसंख्या नियंत्रण नहीं प्रबंधन है जरुरत
यह बात तो हर कोई समझता है कि कानून से जनसंख्या नियंत्रित नहीं हो सकती लेकिन यह कम ही लोग समझ रहे हैं कि इस कानून के बहाने साजिश बैडरूम में झांकने और आप के सहवास तक पर पहरे की है. बढ़ती आबादी कोई समस्या नहीं है, समस्या है बेवजह के बेतुके कानून.
अफगानिस्तान पर इतना रोनापीटना क्यों?
अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा बिना खूनखराबे के हो गया. तालिबान इस बार एक नए रूप में सामने आया है. उस ने न तो सरकारी अधिकारियों व नेताओं के साथ मारकाट मचाई, न आम शहरी को नुकसान पहुंचाया. इस बार तो उस ने यह भी कह दिया है कि वह पहले की तरह महिलाओंबच्चियों पर अत्याचार भी नहीं करेगा. उन को पढ़ने और काम करने से भी नहीं रोकेगा. फिर निजाम बदलने पर इतना चीखनाचिल्लाना क्यों?
मुलायम और लालू भेंट उत्तर प्रदेश के रास्ते केंद्र की तैयारी
बंगाल विधानसभा चुनाव से विपक्षी दलों ने जो सबक लिया वह यह कि सही रणनीति पर काम किया जाए तो भाजपा जैसी पार्टी को भी बुरी तरह मात दी जा सकती है. यही कारण है कि बेजान पड़ा विपक्ष अब अलग तेवर में नजर आ रहा है.
महिलाओं का नाश्ता न करना 10 बीमारियों को आमंत्रण
आमतौर पर सुबह का नाश्ता अधिकतर महिलाएं स्किप कर देती हैं जबकि यहीं से शुरू होती हैं कई समस्याएं. पौष्टिक आहार शरीर के लिए जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है सही समय पर भोजन करना. टाइम पर भोजन करना ही शरीर को ऊर्जा के साथसाथ संतुलन देता है.
भाई भाई न रहा
संपत्ति, ईर्ष्या, द्वेष ऐसे मसले हैं जो भाईभाई को भी दुश्मन बना देते हैं. ऐसे में क्या किया जाए कि परिवार में आपसी रिश्तों को सहेज कर रखा जा सके, जानें आप भी.
"मुझे कोई हीरोइन बना देगा तो वह भी बन जाऊंगी" मेघना मलिक
टीवी इंडस्ट्री में 'भवानी देवी' उर्फ 'अम्माजी' के किरदार को कौन नहीं जानता होगा. यह किरदार मेघना मलिक का सब से यादगार किरदार रहा. लेकिन यह किरदार ही नहीं, मेघना का वह सफर भी यादगार है जिस से गुजर कर आज वे बौलीवुड की मंजिल तक पहुंची हैं.
लक्षद्वीप को डुबोने की तैयारी
लक्षद्वीप अचानक चर्चा में है और वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल विवादों में. पटेल लक्षद्वीप को मालदीव की तर्ज पर पर्यटन स्थल में परिवर्तित करना चाहते हैं मगर द्वीप के ईकोसिस्टम से बेपरवाह जो प्रस्ताव ले कर वे आए हैं उस से लक्षद्वीप का अस्तित्व और उस के निवासियों का जीवन संकट में है.
टोक्यो ओलिंपिक जज्बे के सहारे जरूरतों से जूझते चैंपियन
देश में होनहार खिलाड़ियों की कमी नहीं है, इस के बावजूद हम ओलिंपिक खेलों में एक बार में 7 से ज्यादा मैडल नहीं ला पाए हैं. इस के कई कारण हैं. लेकिन इस से पदक जीतने वाले उन खिलाड़ियों के जज्बे को कम नहीं समझा जाना चाहिए जो विपरीत परिस्थितियों में भी मैडल हासिल कर पोडियम पर खड़े हुए हैं.
सिर्फ मुआवजे से नहीं पलते अनाथ बच्चे
तकरीबन 2.4 लाख बच्चे कोविड-19 महामारी के चलते अनाथ हो गए. कई राज्य और केंद्रशासित सरकारों ने अनाथ हुए बच्चों के पक्ष में सराहनीय कदम उठाए लेकिन क्या उन बच्चों को केवल आर्थिक सहायता की जरूरत है या फिर...
पीसीओएस का खतरा सही आहार और पोषण से रोकें
महिलाओं में होने वाली पीसीओएस की समस्या हार्मोन की गड़बड़ी से होती है जिस के चलते एक या दोनों अंडाशय बड़े हो जाते हैं और इन के बाहरी किनारों पर छोटी गांठें उभर आती हैं. कैसे इस से निबटें, आइए जानें.
गरमाती धरती कहर के करीब
कहीं बाढ़, कहीं भयंकर गरमी, कहीं सूखा तो कहीं बेमौसम बारिश. दुनियाभर में एकसाथ मौसम के कई रूप देखे जा रहे हैं. यह सब बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का नतीजा है. अगर जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले बदलाव यों ही जारी रहे तो सदी के अंत तक भारत के भी कई हिस्से समुद्र में समा जाएंगे.