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डाक टिकटों पर भी छाया रामराज
आज पूरा देश राममय हो चुका है, डाक विभाग भी इससे अछूा नहीं रहा। पीएम नरेन्द्र मोदी व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने डाक टिकट के माध्यम से भी प्रभु श्रीराम को घर-घर पहुंचाने का काम किया। तभी तो 2017 से अब तक प्रभु श्रीराम से जुड़े कई डाक टिकट जारी होते आ रहे हैं। 2017 में रामायण प्रसंग पर, 2020 में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रतिरूप पर आधारित डाक टिकट जारी किये गये। 2021 में अयोध्या शोध संस्थान द्वारा अयोध्या की पारंपरिक रामलीला का मंचन से संबंधित व 2022 में श्रीराम वन गमन पथ पर आधारित डाक टिकट जारी किये गये।
जनकपुर में भी भव्य उत्सव
अयोध्या में होने वाले दिव्य और भव्य आयोजन का हर कोई साक्षी होना चाहता है। इस अद्भुत क्षण को आंखों में समा लेना चाहता है।
रामलला विराजमान
25 मार्च 2020 को तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की तमाम बाधायें समाप्त होने के बाद पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से संपन्न हुआ। अब 22 जनवरी 2024 को मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का भव्य और दिव्य आयोजन होने जा रहा है। वाराणसी के दो कर्मकांडी ब्राह्मण लक्ष्मीकांत दीक्षित और गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम विधि-विधान से संपन्न करायेंगे।
अपनी तरह का पहला सैन्य विद्रोह था पेशावर कांड
उत्तराखंड के जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में आने के बाद मामला रुक गया, लेकिन परिजन अब उक्त जमीन को अपने नाम पर कराने या उत्तराखंड में जमीन दिलाने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग जायज इसलिये है कि देशप्रेम की मिसाल पेश करने और अदम्य साहस दिखाने पर अंग्रेज सरकार ने चन्द्रसिंह की जमीन जायदाद जब्त कर ली थी।
मोदी के सफल धामी प्रयोग ने दिलाया नए चेहरों को अवसर
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गये थे। इसलिए राज्यों में नेतृत्व का फैसला पीएम मोदी व पार्टी नेतृत्व ने लिया है। पार्टी नेतृत्व अब राज्यों के क्षत्रपों का दबाव बर्दाश्त करने के मूड में कतई नहीं है। वहीं, पार्टी में सामान्य विधायकों को सूबे की कमान सौंपकर राज्यों में चल रही गुटबाजी को थामने की कोशिश की गई है।
भू-कानून व मूल निवास मुद्दे पर धामी का बड़ा एक्शन
भू-कानून एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा रहा है जिसकी मांग उत्तराखंड राज्य के गठन के समय से ही जोरों पर रही है, मगर दुर्भाग्य से हर सरकार में यह मुद्दा न्याय के लिए जूझता रहा है।
अब किसानों के द्वार पहुंचेगी धामी सरकार
उत्तराखंड की पलायन जैसी मुख्य समस्या का असल कारण कृषि एवं औद्यानिकी की बदहाल स्थिति ही रहा है। सुविधाओं एवं अनुकूल परिस्थितियों के अभाव में लोग खेती छोड़ते रहे हैं, जिससे पर्वतीय भूमि बंजर होती रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य गठन के बाद से अब तक 72 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर हुई है, जबकि राज्य गठन के वक्त एक लाख हेक्टेयर बंजर भूमि विरासत में मिली थी।
2023 में फतह किया चुनौतियों का 'पहाड़'
2024 में 'नई उड़ान' भरेगा उत्तराखंड
दारू के बाद अब दवा बनी केजरीवाल के लिए 'जहर'
एलजी ने दिल्ली सरकार द्वारा अस्पतालों के लिए खरीदी गई दवाइयों के मामले में जांच के आदेश दिए हैं। आरोप है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दवाई खरीद में कई अनियमितताएं की गयीं। ये दवाइयां सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं में परीक्षण के दौरान फेल पाई गई हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा खरीदी गई अप्रामाणिक दवाओं को लेकर एलजी ने यह आदेश दिए हैं। वहीं, दूसरी ओर सीएम अरविंद केजरीवाल को कुछ दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में तीसरी बार समन जारी किया।
मिशन कश्मीर अब एक विधान, एक निशान
अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को देश की सबसे बड़ी अदालत यानि सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी लेकिन लम्बी सुनवाई और बहस के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में ही चुनाव हों, राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल हो।
2024 में भी चलेगी मोदी की गारंटी!
पीएम मोदी लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने को लेकर आश्वस्त हैं। हाल ही में तीन राज्यों में भाजपा की जीत ने पार्टी का हौसला और बढ़ा दिया है। भाजपा ने 400 प्लस सीटों का लक्ष्य रखा है। भाजपा भले ही इस बार भी बहुमत का आंकड़ा हासिल कर ले परंतु 400 प्लस का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं होगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा इस बार भी 'मोदी मैजिक' पर ही निर्भर रहेगी।
'रोमांसिंग विद लाइफ' जिंदादिली की मिसाल थे देवानंद
वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म 'जिद्दी' देवानंद के फिल्मी कैरियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म से वह बड़े अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए। इसके बाद उन्हें कई फिल्में मिलीं। इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और नवकेतन बैनर की स्थापना की। नवकेतन के बैनरतले उन्होंने वर्ष 1950 में अपनी पहली फिल्म 'अफसर' का निर्माण किया जिसके निर्देशन की जिम्मेदारी उन्होंने अपने बड़े भाई चेतन आनंद को सौंपी।
ऐक्टिंग: बॉलीवुड में बहार लाने आ गए बहारुल
अजय देवगन के साथ 'मैदान', दिपीका पादुकोण के साथ 'छपाक', कपिल की आत्मकथा पर आधारित फिल्म '83' में आएंगे नजर
...चूक गए 'चौहान'
आईसीसी विश्व कप-2023 का फाइनल मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला गया। ऑस्ट्रेलिया रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय टीम को हराकर 6ठी बार विश्व विजेता बनी। फाइनल मैच में हार के साथ रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय टीम का तीसरी बार का विश्व विजेता बनने का सपना फिलहाल सपना ही रह गया।
सत्कर्मों से उत्पन्न होता है यज्ञ
यज्ञ कई तरह के हैं। कुछ लोग अपनी भौतिक सम्पत्ति व योगाभ्यास से अर्जित शक्ति को यज्ञ में अर्पित करते हैं। उपनिषदों के समय सभी कर्मों को बंधनकारी माना जाता था। कर्मबंधन में बंधे व्यक्ति का पुनर्जन्म होता है। केवल यज्ञ ही बंधन में नहीं डालता। श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं, 'प्राचीन काल में प्रजापति ने यज्ञ से प्राणी उत्पन्न किए थे और कहा था कि, 'यज्ञ तुम्हारी सभी इच्छाओं को पूरा करेगा।' श्रीकृष्ण कहते हैं, 'तुम यज्ञ के द्वारा देवताओं का पोषण करो।
म्यांमार में तनाव के बादल भारतीय नीति की परीक्षा
म्यांमार का वर्तमान नृजातीय संघर्ष भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हाल ही में म्यांमार के नेशनल यूनिटी कंसल्टेटिव काउंसिल के काउंसलर ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत को म्यांमार की मिलिट्री जुंटा के प्रति वन साइडेड पॉलिसी रखते हुए उससे ही तालमेल बिठाने का काम नहीं करना चाहिए। भारत को म्यांमार के एथनिक माइनॉरिटी के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भी स्पष्ट स्टैंड रखना चाहिए जिससे सैन्य सरकार पर दबाव पड़ें।
मौजूदा तीन सीटों पर कब्जा बरकरार रख पाएगी कांग्रेस?
राजनीतिक पंडितों की मानें तो 2024 का लोकसभा चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के लिए किसी कठिन अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी। ध्यान रहे कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कलियाबर, बरपेटा और नगांव- इन तीन सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। हाल ही संपन्न असम के लोकसभा और विधानसभाओं के क्षेत्र परिसीमन के बाद दिख रहे बदलाव से इन तीनों सीटों पर जीत को बनाए रखना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।
बिछ रही सियासी बिसात, संथाल और कोल्हान पर फोकस
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार आपके द्वार को जरिया बना रहे हैं। सरकार का दावा है कि 2021 में इस अभियान के पहले चरण के दौरान कुल 6, 867 शिविर लगाकर 35.95 लाख आवेदन प्राप्त किये गये। साल 2022 में दूसरे चरण के दौरान 5,696 शिविर लगाकर 55.44 लाख आवेदन प्राप्त हुए। सरकार का दावा है कि करीब-करीब सभी आवेदनों का निष्पादन हो चुका है।
आयोजन की बिसात पर जाति की सियासत
सबसे पहले बात बीते दिनों प्रदेश में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने की करते हैं। इसका सीधा उद्देश्य पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा और अनुसूचित जाति, जनजाति को साधना था। इसमें नीतीश कुमार काफी सफल भी रहे। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरियों और दाखिले में 75 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर दिया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के हस्ताक्षर और गजट अधिसूचना के साथ ही राज्य की सरकारी सेवाओं और सरकारी शिक्षण संस्थानों के दाखिले में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू भी हो गई है। नई व्यवस्था में पहले से जारी आरक्षण में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इनमें से 13 प्रतिशत पिछड़े एवं दो प्रतिशत अनसूचित जाति-जनजाति के कोटे में जोड़ा गया।
हलाल के सर्टिफिकेट से 'हराम' की कमाई
हलाल सर्टिफिकेट बांटने वाली कम्पनियों और संस्थाओं जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट का कहना है कि दुनियाभर में हलाल प्रोडक्ट की मांग बहुत ज्यादा है, ऐसे में भारतीय कंपनियों के लिए ऐसा सर्टिफिकेट हासिल करना बहुत जरूरी है परंतु यहां भी यह संस्थाएं झूठ का सहारा लेते दिख रही हैं, क्योंकि योगी सरकार ने निर्यात होने वाले सामानों पर हलाल सार्टिफिकेट पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है। अब तो इनके खातों की जांच के बाद ही तमाम सच्चाई सामने आयेगी।
अगड़ों के सहारे पिछड़ों की सियासत चमकाती बीजेपी
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी
अब कृष्ण बनेंगे सियासी महाभारत में सारथी
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण प्रारम्भ हो जाने के बाद संघ और भाजपा के एजेण्डे में मथुरा और काशी ही शेष रह गए हैं। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे का काम पूरा हो चुका है और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया अब रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को सौंपने वाली हैं।
चारधाम यात्रा इस बार बना ऑलटाइम रिकार्ड
अप्रैल से नवंबर तक चली चारधाम यात्रा ने किस प्रकार से प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत किया, उसे आप इस आंकड़े से अनुमान लगा सकते हैं कि केदारनाथ और यमनोत्री में घोड़ा-खच्चर, हेली और डंडी-कंडी से ही 211 करोड़ का कारोबार हुआ। इसमें केदारनाथ में घोड़ा-खच्चर से 101.34 करोड़ का कारोबार हुआ, जबकि यमुनोत्री धाम में घोड़े खच्चरों से 21 करोड़ का कारोबार हुआ।
सात तोपों की सलामी के हकदार थे टिहरी नरेश
भारत वर्ष के दीर्घजीवी राजवंशों में से एक, पंवार वंश की रियासत टिहरी कभी हिमालयी रियासतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण रियासत मानी जाती थी, इसलिए टिहरी नरेश को महाराजा का दर्जा हासिल था।
बेदाग धामी एनडी तिवारी के बाद बनाएंगे नया रिकार्ड
उत्तराखंड सरकार के अस्तित्व में आने के साथ ही यहां लगातार राजनीतिक अस्थिरता की शुरुआत हो गई थी। राज्य गठन के समय मुख्यमंत्री बनाए गए नित्यानंद स्वामी को कुछ ही महीनों में इस्तीफा देना पड़ा और भगत सिंह कोश्यारी को कमान सौंपी गई। इसके बाद अब तक केवल नारायण दत्त तिवारी को ही पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का मौका मिला।
उत्तराखंड के लिए इन्वेस्टर समिट बनेगा 'संजीवनी'
● देहरादून में 8 व 9 दिसंबर को होगा ऐतिहासिक ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन, पहली बार प्रदेश में होगा 2 लाख करोड़ का रिकॉर्ड निवेश ● लंदन, यूएई, आबुधाबी पूंजी निवेश, प्रदेश में औद्योगिक गतिविधि व संरचनात्मक ढांचे का होगा विकास ● राज्य दोगुनी जीडीपी के लक्ष्य को हासिल करेगा, इससे पलायन, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी
बाइब्रेंट गुजरात की तर्ज पर डेस्टीनेशन उत्तराखंड
नब्बे के दशक में या कहें कि गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले उद्योग जगत में गुजरात का अधिक नाम नहीं था, लेकिन जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली और बाइब्रेंट गुजरात का नारा दिया तो उसकी तस्वीर व तकदीर बदल गई। राज्य की गणना माडल प्रदेश के रूप में होने लगी। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद के दावेदारी के लिए गुजरात मॉडल की बात सामने आई। अब इससे प्रेरणा लेकर ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उसी तर्ज पर उत्तराखंड को संवारने में जुटे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री धामी ने एक कार्यक्रम में भी खुद यह कहा कि वे प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर ही राज्य में डेस्टीनेशन उत्तराखंड बनाने में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
पीएम मोदी की डेली मॉनिटरिंग से सफल हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन
सिलक्यारा रेस्क्यू को सफल बनाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी अहम भूमिका रही।
सीएम धामी ने निभाई जिम्मेदार 'अभिभावक' की भूमिका, जीत लिया सबका दिल
सबसे बड़े टनल रेस्क्यू माने जा रहे सिलक्यारा रेस्क्यू को 28 नवंबर को रात में रेस्क्यू टीम ने पूरा कर लिया। इस उपलब्धि का मुख्य श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिया जाएगा, क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ बेहद सख्त दिखने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी का इस पूरे रेस्क्यू में बेहद भावनात्मक रूप देखने को मिला।
सबसे बड़ा सिलक्यारा रेस्क्यू पूरा उत्तराखंड ने रचा इतिहास ...और जिंदगी जीत गई
दुनिया का सबसे बड़ा माने जाने वाला सिलक्यारा रेस्क्यू 28 नवंबर को रात 8 बजे पूरा हुआ तो मानों 41 श्रमिकों को नई जिंदगी मिल गई। दीपावली की सुबह टनल में फंसे श्रमिकों के लिए बाहर आकर खुले आसमां के नीचे सांस लेना ईश्वर की कृपा से कम नहीं था। शुरू में नामुमकिन से लगने वाले इस रेस्क्यू को पूरा करना उत्तराखंड के लिए ही नहीं, देश के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। रेस्क्यू टीम दिनरात जुटी रही और सीएम पुष्कर सिंह धामी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ बड़े-बड़े फैसले लेते रहे। वहीं, पूरे रेस्क्यू के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता भी किसी से छिपी नहीं रही। विश्वस्तरीय तकनीक और कुशल नेतृत्व के बल पर सिलक्यारा रेस्क्यू पूरा हो गया।