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क्या बैठे रहना आपके स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है?
अधिकतर लोग सोचते हैं कि नियमित व्यायाम आपको पूरे दिन स्वस्थ रखने में सहायक है। लेकिन कुछ शोध और अध्ययन से पता चला है कि यदि आप सप्ताह में ५ दिन तक प्रति दिन आधा घंटा व्यायाम करें और एक सप्ताह में ४० या उस से अधिक घंटे बैठे रहें ;काम करते समय या टीवी देखते रहें तो भी आपको अनेक बड़े रोग हो सकते हैं।
अज्ञात की विशालता - श्री श्री रवि शंकर जी की वार्ताओं से संकलित
कोई भी जीवन को पूर्णत: समझ नहीं पाया है और न ही कोई इसे समझ सकता है। हमें इस तथ्य को स्वीकार कर लेना चाहिये कि जीवन अत्यंत विशाल और रहस्यमय है!
कर्म योग - आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा बाढ़ प्रभावित राज्यों में तीव्रता से सहायता
वर्ष २०१९ में महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, कर्नाटक, पंजाब, केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार में बाढ़, उफनती नदियाँ, भारी वर्षा और बादल फटने की घटनाएं देखी गई हैं।
जीवन की अनस्थिरता
आचार्य रत्नानंद जी (पिताजी) भारत के बेंगलूरु के प्रसिद्ध वैदिक विद्वान थे। उनकी शैक्षिख पृष्ठभूमि अकादमिक अध्ययन का मिश्रण थी, जिसमें क्रिश्चियन संस्थान से पढ़ाई तथा घर पर प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन जिसने उनको प्रबुद्ध बुद्धि दी, पूर्वी और पश्चिमी दोनों विचारों को समझने की। पिता जी गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के पिताजी थे।
नवरात्रि - गुरुदेव श्री श्री रविशंकर
नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें और नई रात।
नागानाथस्वामी मंदिर, तंजौर
भगवान राहू को समर्पित एक प्राचीन और दुर्लभ मंदिर तमिलनाडू के तंजौर जिले में स्थित है। आइये जानते हैं उसके बारे में ....
पतंजलि योगसूत्र - दुःख के 5 कारण
गुरुदेव द्वारा पतंजलि योगसूत्र पर दिए गए प्रवचनों से उद्धृत
पर्वों के इस मौसम में हल्का भोजन करें ओर स्वस्थ रहें
नवरात्रि के व्रतोपवास आप के शरीर को शुद्ध करते हैं। यदि आप फलाहार या व्रतोपवास पर नहीं है, तो आपके लिये यहां पर कुछ व्यंजन दिये जा रहे हैं जो कि आपके पेट के लिये हल्के हैं और सुपाच्य हैं।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न : जैसे जैसे हमारे रिश्ते गहरे होते जाते हैं वैसे वैसे हम अपनी स्वतंत्रता और हल्कापन क्यों खोते जाते हैं?
मासिक ज्ञान - जीवन के अनेक रहस्य हैं
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के प्रवचनों से उद्धृत
योग वशिष्ठ
जिस प्रकार इंधन डालने से अग्नि प्रचंड रूप से प्रज्वलित होने लगती है और ईंधन की कमी से धीमी पड़ने लगती है, उसी प्रकार जीव अपने विचारों के द्वारा एक विशाल ब्रह्मांड की रचना कर लेता है। 'यदभवम तद् भवति'- हम जैसा सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं!
स्वतंत्र कौन है? नारद भक्ति सूत्र पर श्री श्री रवि शंकर जी के प्रवचन से उद्धृत
बातचीत से कभी उलझन सुलझती नहीं है। तुम समझाओ, तुम्हारे विस्तार रूप से समझाने में कोई विश्वास नहीं करता, कोई समझता नहीं, अभिव्यक्ति नहीं होती। आँख जिनमें है वे देख लेंगे और तुम्हे संशय होगा की नहीं क्योंकि तुम्हे और कोई प्रमाण नहीं चाहिए
बालों की दैनिक देखभाल
आधुनिक जीवनशैली के साथ, वास्तव में हर रोज बाल की सम्पूर्ण देखभाल थोड़ा मुश्किल लगता है।