बूँद-बूँद सिंचाई द्वारा पौधों को उनकी आयु, फैलाव, किस्म, फलन, भूमि के प्रकार व जलवायु को ध्यान में रखकर पौधों की वास्तविक जल माँग के अनुरूप जल स्त्रोत से पानी सीधा पौधे के जड़ क्षेत्र में पहुँचाया जाता है। जो पूर्ण रूप से नियंत्रित अवस्था में रहता है। यह पद्धति मुख्यतः कृषि के क्षेत्र में नई क्रान्ति ला सकती है। विश्व के कुछ विकसित देशों में जहाँ इस प्रणाली से 50-60 प्रतिशत भूमि पर सिंचाई की जाती है। वहीं भारत वर्ष में इस प्रणाली का उपयोग नहीं (11.5 प्रतिशत) के बराबर है। इस प्रणाली से सिंचाई करने पर अन्य सिंचाई विधियों की अपेक्षा 60-70 प्रतिशत तक पानी की बचत कर शुष्क अर्द्धशुष्क, ऊँची-नीची भूमियों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में भी बहुत प्रभावी सिंचाई की जा सकती है। आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई जल के साथ पोषक तत्व (तरल खाद एवं उर्वरक) व कीटनाशी दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। यह सिंचाई पद्धति बागानों (उद्यानों) में तो विशेष महत्व रखती है। साथ ही साथ सभी प्रकार की फसलों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
बूँद-बूंद सिंचाई पद्धति की संरचना : बूँदबूँद सिंचाई पद्धति में जल स्त्रोत से आने वाले पानी को प्रारम्भिक तथा द्वितीयक फिल्टर द्वारा फिल्टर करने के बाद मुख्य पाइप लाइन से होता हुआ उपनाली के माध्यम से लेटरल पाइपों पर लगे ड्रिपरों द्वारा पौधों के जड़ क्षेत्र में बूँद-बूँद करके दिया जाता है, जिससे पानी बिना किसी नुकसान के सीधा जड़ क्षेत्र में पहुँच जाता है।
1. मुख्य अंग :
1. पम्प : पम्प का कार्य नलकूप व कुँए से पानी निकालना होता है। पम्प की क्षमता जल स्तर की गहराई व पानी की आवश्यकता पर निर्भर करती है। सिंचाई का सम्पूर्ण तन्त्र पम्प की क्षमता के आधार पर बनाया जाता है। आवश्यकता से अधिक डिसचार्ज देने वाले पम्प का पानी दूसरे तरीके से भी सिंचाई हेतु प्रयोग कर सकते हैं तथा पुनः नलकूप में भी छोड़ा जा सकता है।
2. जल संग्रहण टैंक : आवश्यकता से अतिरिक्त पानी के रखने हेतु या नलकूप नहीं होने पर जल संग्रहण टैंक की आवश्यकता पड़ती है। जल संग्रहण टैंक खेत में सबसे ऊँचे स्थान पर बनाया जाता है जिससे सम्पूर्ण खेत में सिंचाई की जा सके।
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।