पिछले अंक का शेष
8. बागवानी के लिए वृक्ष लगाने की विधि :
संयुक्त एवं निजी भूमियों पर फलदार वृक्ष लगाना बहुत महत्वपूर्ण है, मुख्य तौर पर 1. आहारीय तत्वों के लिए 2. आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए 3. पर्यावरण में सुधार के लिए। मनरेगा स्कीम अधीन बागवानी/कृषि विभाग के सहयोग से खाली, बंजर एवं गहाई के बिना पड़ी भूमियों को इस्तेमाल में लाने को प्रोत्साहित करती है। स्कीम पांच वर्षों तक सहयोग देती है। ताकि 100 प्रतिशत पौधे बच जायें। निजी भूमियों पर, माकूल स्थितियों में, टिशू कल्चर से तैयार पौधों द्वारा प्रतीक्षा अवस्था को कम किया जा सकता है जिससे अधिक उत्पादन भी लिया जा सकता है। तुपका सिंचाई को प्रोमोट किया जाना चाहिए। राज्य सरकार को लाभपात्रों की जानकारी के लिए चुनी गई किस्मों की काश्त के लिए सिफारिशों सहित की जाने वाली कार्रवाईयों के बारे में एक पुस्तक प्रकाशित की जानी चाहिए (स्थानीय भाषा में जो 10 पन्नों से अधिक न हो)। बाकी की जानकारी मैनूअल में विस्तार से दी गई है।
नर्सरी तैयार करना :
नर्सरी वह स्थान है जहां गुणवत्ता भरपूर पौधे तैयार किये जाते हैं। पौधों के कामयाब होने के लिए नर्सरी में तैयार पौधों की क्वालिटी सबसे महत्वपूर्ण है। समय के आधार पर नर्सरियां मुख्य तौर पर दो प्रकार की होती हैं-
1. पक्की (पर्मानेंट) 2. कच्ची (टैंपरेरी)। लंबे समय के प्रोग्राम के लिए जो कि पांच वर्ष से अधिक चलना हो, उचित बुनियादी ढांचे से लैस पक्की नर्सरियां बनाई जानी चाहिएं। पांच वर्ष या इससे कम समय के प्रोग्राम के लिए कच्ची या अर्ध पक्की नर्सरियां बनाई जा सकती हैं। नर्सरी को स्थापित करने के लिए नर्सरी में बढ़िया क्वालिटी के पौधे तैयार करने के लिए आवश्यक जानकारी स्कीम की गाईडलाईनज एवं बागवानी विभाग से मिल जायेगी।
भूमि की तैयारी और सिंचाई प्रबंध :
सीमांत, खराब एवं खाली स्थानों पर वृक्ष लगाएं अथवा बागवानी करने से पहले तैयार करना आवश्यक है। इसमें निम्नलिखित कार्य आते हैं :
1. झाड़ियों को साफ करना।
2. पत्थर कंकर निकालने
3. खेतों में बांध बनाना
4. खेतों में तालाब बनाना।
5. कुएं बनाना
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।