अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
Modern Kheti - Hindi|15th December 2024
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण

अलसी की फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए किसानों को चाहिए कि वे समय पर इन हानिकारक कीट एवं रोगों की रोकथाम करें। इस लेख में अलसी फसल के कीट व रोग एवं उनकी रोकथाम कैसे करें, की जानकारी का उल्लेख किया गया है।

अलसी की फसल के रोग की रोकथाम

गेरुआ (रस्ट) - यह रोग मेलेम्पसोरा लाइनाई नामक फफूंद से होता है। रोग का प्रकोप प्रारंभ होने पर चमकदार नारंगी रंग के धब्बे अलसी की फसल में पत्तियों के दोनों ओर बनते हैं। धीरे-धीरे यह पौधे के सभी भागों में फैल जाते हैं।

नियंत्रण - रोग नियंत्रण हेतु रोगरोधी किस्में जे एल एस - 9, जे एल एस- 27, जे एल एस- 66, जे एल एस- 67 और जे एल एस- 73 को उगायें। रासायनिक दवा के रूप में टेबूकोनाजोल 2 प्रतिशत 1 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से या (कैप्टान + हेक्साकोनाजाल) का 500 से 600 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

उकठा (विल्ट) - यह अलसी की फसल का प्रमुख हानिकारक मृदा जनित रोग है। इस रोग का प्रकोप अंकुरण से लेकर परिपक्वता तक कभी भी हो सकता है। रोगग्रस्त पौधों की पत्तियों के किनारे अन्दर की ओर मुड़कर मुरझा जाते हैं। इस रोग का प्रसार प्रक्षेत्र में पड़े फसल अवशेषों द्वारा होता है। इसके रोगजनक मृदा में उपस्थित फसल अवशेषों तथा मृदा में उपस्थित रहते हैं तथा अनुकूल वातावरण में पौधों पर संक्रमण करते हैं।

नियंत्रण - रोगरोधी और उन्नत प्रजातियों को उगायें।

चूर्णिल आसिता (भभूतिया रोग)- इस रोग के संक्रमण की दशा में अलसी की फसल में पत्तियों पर सफेद चूर्ण सा जम जाता है। रोग की तीव्रता अधिक होने पर दाने सिकुड़ कर छोटे रह जाते हैं। देर से बुवाई करने पर एवं शीतकालीन वर्षा होने तथा अधिक समय तक आर्द्रता बनी रहने की दशा में इस रोग का प्रकोप बढ़ जाता है। नियंत्रण- उन्नत प्रजाति उगायें तथा कवकनाशी के रुप में थायोफिनाईल मिथाईल 70 प्रतिशत डब्ल्यू पी 300 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

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