हरियाणा
सारांश : “अत: हमें पशु उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए खासकर कि दूषक पदार्थ पशु आहार या आहार संघटकों में सुरक्षित स्तर से ऊपर न हों ताकि पशु जनित आहार मानव जाति को हानि न पहुंचाए। यह खाद्य सुरक्षा का मामला है जो कि गंभीर चिंता का विषय है।"
भूमिका : भारत विश्व में 175 मिलियन टन दूध उत्पादन कर प्रथम स्थान पर है। पशुधन उद्योग में डेरी का 59: योगदान है और यह पशुधन क्षेत्र का विषालतम भाग है। शहरीकरण, बदलते हुए आहार के बढ़ती हुई प्रति व्यक्ति आय के कारण पशु मूल के भोजन की मांग में वृद्धि हो रही है। किंतु उसी समय बेहतर जागरूकता और स्वास्थ्य के प्रति जागृति होने से यह अनिवार्य हो गया है। कि हम सभी प्रकार के भोजन, खास तौर पर पशु मूल के भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान दें परन्तु कृषि एवं पशु उत्पादन की बढ़ोतरी हेतु पिछले 3-4 दशकों से रासायनिक खाद, पशु चिकित्सा दवाओं और कीटनाशकों का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। पशु मूल के भोजन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले पदार्थ दो प्रकार के हैं-(क) दूषक पदार्थ (ख) अवशेष। दूषक पदार्थ जैसे कि भारी धातु, कवक जनित विशाक्त तत्व भोजन श्रृंखला में पशु के चारे व पानी के अंतर्ग्रहण के कारण अनजाने में और अनियंत्रित रूप से प्रवेश करते हैं। अतः हमारा ध्येय यह होना चाहिए कि कैसे पशु आहार में दूषक पदार्थ कम से कम हों ताकि पशुओं का स्वास्थ्य अच्छा रहे और उनसे जनित भोज्य पदार्थ मानव जाति के लिए सुरक्षित हों।
उद्देश्य एवं विस्तार : इस नियम संग्रह का लक्ष्य कृषि क्षेत्र के स्तर पर अच्छी पशु पोषण पद्धतियों एवं दूतकार्य संचालन, भंडारण, प्रसंस्करण और वितरण के दौरान अच्छी विनिर्माण पद्धतियों का अनुपालन करके मानव सेवन के लिए खाद्य सुरक्षा को सुरक्षित करना है। पद्धतियों का यह नियम संग्रह औद्योगिक रूप से या कृषि क्षेत्र से उत्पादित पशु चारा और आहार अवयव के उत्पादन के लिए लागू किया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
Esta historia es de la edición 1st September 2022 de Modern Kheti - Hindi.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।