मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी खरपतवार बहुत बुरा असर डालते हैं और कई खरपतवारों की वजह से (जैसे गाजरघास) मनुष्य को कई घातक बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
गाजरघास क्या है :- गाजर के पौधे के समान दिखने वाली वनस्पति गाजरघास एक उष्णकटिबंधीय अमेरीकी मूल का शाकीय पौधा है जो आज देश के समस्त क्षेत्रों में मानव, पशु, पर्यावरण और जैव विविधितता हेतु एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। चूंकि पौधे की पत्तियां गाजर की पत्तियों के समान होती हैं। इसलिए इसे गाजरघास के नाम से जाना जाता है।
गाजरघास बहुत ही खतरनाक खरपतवार है। गाजरघास की 20 प्रजातियां पूरे विश्व में पाई जाती हैं। इसका वैज्ञानिक नाम पारथेनियम हिस्ट्रोफोरस (Parthenium hysterophorus) है, इसको कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे काग्रेंस घास, सफेद टोपी, छंतक चांदनी आदि। यह खरपतवार एस्टेरेसी (कम्पोजिटी) (Family: Asteraceae) कुल का पौधा है।
भारत में सर्वप्रथम यह घास 1955 में पूना (महाराष्ट्र) में देखी गई थी। माना जाता है कि हमारे देश में इसका प्रवेश 1955 में अमेरिका व कनाडा से आयातित गेहूं के साथ हुआ। आज ये घातक खरपतवार पूरे भारत वर्ष में लाखों हैक्टेयर भूमि पर फैल चुका है। यह खरपतवार जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के विभिन्न भागों में फैला हुआ है। खरपतवार विज्ञान अनुसंधान निदेशालय जबलपुर द्वारा किये गए आंकलन के अनुसार भारत में गाजरघास लगभग 350 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फैल चुकी है जिसका समय रहते उन्मूलन नहीं किया गया तो गाजरघास देश के लिए नाशूर बन सकती है। यह घास मुख्यतः खुले स्थानों, औद्योगिक क्षेत्रों, सड़कों के किनारे, नहरों के किनारे व जंगलों में बहुतायात में पाया जाता है। अब इसने अपने पाँव खेत खलियानों में भी पसारना शुरू कर दिया है। विश्व में गाजरघास भारत के अलावा अमेरिका, मैक्सिको, वेस्टइण्डीज, नेपाल, चीन, वियतनाम तथा आस्ट्रेलिया के विभिन्न भागों में भी फैला हुआ है।
गाजरघास की पहचान :
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।