भूमि का चुनाव एवं तैयारी : चने की खेती के लिए हल्की दोमट तथा मटियार भूमि का चयन करें। मृदा का पी. एच. मान 6-7.5 उपयुक्त रहता है। गर्मी में जमीन की गहरी जुताई अवश्य करें, इससे कीड़ों के अंडे, घास फूस के बीज व भूमिजनित रोगों के बीजाणु अधिक तापक्रम होने के कारण मर जाते हैं। गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। अंतिम जुताई के पूर्व 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से मैलाथियान घोल मिला दें, जिससे मिट्टी में पाये जाने वाले हानिकारक कीट नष्ट हो जाएं।
खेत पूर्व फसलों के अवशेषों से मुक्त हो इससे भूमिगत फफूंदों का विकास नहीं होगा। बुआई के लिए खेत को तैयार करते समय 2-3 जुताईयाँ कर खेत को समतल बनाने के लिए पाटा लगाएं। पाटा लगाने से नमी संरक्षित रहती है। खेत की मिट्टी बहुत ज्यादा महीन या भुरभुरी बनाने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिये ढेलेदार भूमि उपयुक्त होती है। जल निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें।
बुआई का समय
- बुआई समय पर करना खेती में सफलता की प्रथम सीढ़ी है।
- असिंचित क्षेत्रों में, खरीफ फसल की कटाई के तुरंत बाद या बारिश थमने के बाद ही अक्टूबर के द्वितीय एवं तृतीय सप्ताह तक बुआई करें।
- सिंचित क्षेत्रों में अक्टूबर के तृतीय सप्ताह से नवम्बर माह तक बुवाई करें।
- देर से बोने की स्थिति में जल्दी पकने वाली किस्मों का चयन कर दिसम्बर के द्वितीय सप्ताह तक बोनी करें।
- धान की फसल कटने के बाद भी चना की खेती की जा सकती है। ऐसी स्थिति में बुआई दिसम्बर माह तक अवश्य कर दें।
बीज गुणवत्ता
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।