मृदा में नमी की जांच और फायदे
Modern Kheti - Hindi|15th November 2024
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
मृदा में नमी की जांच और फायदे

मृदा में नमी की जांच कृषि में जल प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रक्रिया किसानों को यह जानने में मदद करती है कि उनकी फसलों को कब और कितनी सिंचाई की आवश्यकता है। इससे जल संरक्षण होता है, फसल उत्पादन में वृद्धि होती है और मिट्टी की संरचना बनी रहती है। नमी जांचने के विभिन्न उपकरण जैसे टेंशियोमीटर, सॉयल मॉइश्चर सेंसर और न्यूट्रॉन प्रोब का उपयोग किया जाता है। इनसे सिंचाई की सही योजना बनाने में मदद मिलती है, जिससे लागत कम होती है और पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होता है।

मिट्टी में नमी जांचने के उपकरण

1. टेंशियोमीटर ( Tensiometer ) : यह एक सरल और सामान्य उपकरण है जो मिट्टी में नमी के तनाव को मापता हैं। इसका उपयोग फसलों की जल आवश्यकताओं को जानने के लिए किया जाता है। यह एक लंबी नली होती है, जिसमें एक पानी से भरी ट्यूब और एक सिरे पर सेरामिक कप लगा होता है। जब मिट्टी में पानी की कमी होती है, तो टेंशियोमीटर पानी को बाहर खींचता है और इसे मापने वाला गेज इस तनाव को रिकार्ड करता है।

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गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।

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क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
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'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
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'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल

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