कृषि एवं सहायक व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की मुहिमों का आगाज किया गया जैसे अनाज उत्पादन के लिए हरित क्रांति, दूध उत्पादन के लिए सफेद क्रांति का नाम दिया गया। इसी तरह तेल बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए पीली क्रांति का नाम दिया गया। शहद उत्पादन के लिए 2020 में नेशनल बी कीपिंग एवं हनी मिशन का आरंभ हुआ जिसको स्वीट क्रांति का नाम दिया गया। इस मिशन अधीन शहद के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए एवं इसके सभ्य मंडीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए मीठी क्रांति का आगाज हुआ।
भारत विश्व के पाँच शहद उत्पादक देशों में आता है। भारत में वर्ष 2005-06 के मुकाबले शहद के उत्पादन में 242 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और शहद निर्यात करने में 265 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इससे यह सिद्ध हो रहा है कि 2024 तक कृषि आमदनी को दोगुना करने में शहद उत्पादन अपनी अहम भूमिका निभाएगा। यह अनुमान है कि विश्व स्तर पर ऐपीकल्चर मंडीकरण (शहद मंडीकरण) 4.3 प्रतिशत मिश्रित वार्षिक दर पर बढ़ोतरी हो रही है। यह अनुमान है कि 33,128 मिलियन रुपए की शहद मार्केट 2024 तक होगी जो कि वार्षिक 12 प्रतिशत दर से विकास कर रही है। 2019-20 में प्राकृतिक शहद 59,537 मीट्रिक टन जो कि 634 करोड़ रुपए के मूल्य का बनता था, का निर्यात किया गया। मुख्य देश जिनमें शहद की माँग बढ़ रही है अमेरिका, साउदी अरब, कैनेडा एवं कतार हैं। विश्व मंडियों में शहद की माँग बहुत बढ़ रही है।
इसलिए शहद की विश्व स्तर पर बढ़ती माँग को देखते हुए शहद उत्पादन या मधुमक्खी पालन के लिए स्वीट क्रांति का आगाज किया गया जिसमें शहद गुणवत्ता को जांचने के लिए तीन विश्व स्तर की लैब एवं 25 छोटी लैब का निर्माण किया गया है जिससे शहद की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। शहद की प्रोसैस्सिंग यूनिट स्थापित करने के लिए सरकार की ओर से सहायता दी जा रही है। देश में लगभग 125 लाख मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है जिसमें 60 हजार मीट्रिक टन के लगभग निर्यात किया जाता है।
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।