शरीर की प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। इसके सही संतुलन से विशेष प्रकार की बिमारियों से बचा जा सकता है। मूलतः पशुपालक अपने पशुओं को आहार तो प्रदान करते हैं परन्तु वे इसमें खनिजों के महत्व को नजरअंदाज कर देते हैं। शरीर को उच्च स्तर के आहार के साथ चारे में पर्याप्त मात्रा में खनिजों का मिलना भी अत्यंत आवश्यक होता है। यह शरीर की विभिन्न कार्य प्रणली के सुचारू रूप से काम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। सही मात्रा में ज़रूरी खनिजों के न मिलने पर विभिन्न प्रकार की बिमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही साथ यह पशुओं के शारीरिक विकास को भी प्रभावित करता है। अधिक उत्पादन वाले पशुओं में मध्यम उत्पादन वाले पशुओं की तुलना में चारे में खनिजों की कमी से होने वाली बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए ऐसी समस्या से बचने के लिये पशुपालक को चाहिए कि वह अपने पशु के शरीर की न्यूनतम खनिज आवश्यकता को पूरा करें। इसके लिए उसे अपने पशु के चारे में खनिज मिश्रण अवश्य मिलाकर खिलाना चाहिए।
क्या है खनिज मिश्रण?: विभिन्न प्रमुख अथवा सूक्ष्म खनिजों को पर्याप्त मात्रा में मिलाकर तैयार किये गए मिश्रण को खनिज मिश्रण कहते हैं। प्रायः रूप से खनिज दो प्रकार के होते हैं एक जो पशुओं के लिए अधिक मात्रा में आवश्यक हैं जिन्हें प्रमुख खनिज कहते हैं जैसे कैल्शियम, फॉस्फोर्स, पोटाशियम, मैग्नीशियम, सोडियम तथा क्लोरीन और दूसरे जो बहुत सूक्ष्म मात्रा में आवश्यक होते हैं जिन्हें सूक्ष्म या विरल खनिज कहते हैं जैसे कि जिंक, कोबाल्ट, लोहा, कॉपर, आयोडीन, मैंगनीज, मॉलिब्जेनम, सेलेनियम, निकल, सिलिकॉन, टिन एवं वनैडियम। खनिज मिश्रण तैयार करते वक्त इन दोनों प्रकार के खनिजों की मात्रा का ध्यान रखा जाता है ताकि यह शरीर को उचित मात्रा में मिल सके।
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