प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी - डॉ. विलियम ए. अलब्रैक्ट
Modern Kheti - Hindi|September 15, 2023
मिट्टी की कम होती उपजाऊ शक्ति के मामलों के बारे में उन्होंने ढूंढा कि यह सब प्राकृतिक वस्तुओं की कमी, महत्वपूर्ण तत्वों की कमी एवं आवश्यक खनिजों की कमी के कारण होता है। इनकी कमी वाली भूमि में फसलें कम होती हैं। फसलों की गुणवत्ता में भी कमी होती है।
प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी - डॉ. विलियम ए. अलब्रैक्ट

डॉ. विलियम ए अल्ब्रेक्ट ने मानव स्वास्थ्य पर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति के प्रभाव के संबंध में इलिनोइस विश्वविद्यालय से चार डिग्रियां प्राप्त की थीं। मिसौरी विश्वविद्यालय मिट्टी के एक प्रोफैसर के तौर पर उन्होंने मिट्टी की गुणवत्ता, भोजन गुणवत्ता एवं मानव स्वास्थ्य में सीधा संबंध देखा। उन्होंने पशुओं के स्वास्थ्य को खराब करने में जिम्मेदार घटिया क्वालिटी के चारे के आपसी संबंध के बारे में पता लगाया। उन्होंने एक फार्मूला तैयार किया, जिसको मूल खरपतवार के लिए अनुपात कहते हैं। हालाकि इसकी उम्मीद की जाती थी कि वह मिट्टी में खरपतवारों की अदला-बदली की खोज नहीं करते, परन्तु वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने इसको मिट्टी के तत्वों के साथ मेल किया। 1939 में उन्होंने अमेरिका के मिट्टी विज्ञान सोसायटी का प्रतिनिधित्व किया। उस समय से बीस वर्ष पहले जब पर्यावरण के बारे में राष्ट्रीय जागरुकता के रुप में विचार हुआ, उन्होंने कृषि चौगिर्दे के विषय पर भिन्न-भिन्न स्थानों पर लैक्चर दिये। अपने भाषण में वह कहते थे कि मिट्टी जीवन की अनेक आरंभिक जरुरतों के लिए रचनात्मक भूमिका निभाती है।

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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम

सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।

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15th December 2024
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
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हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका

भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।

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15th December 2024
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
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सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ

सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।

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15th December 2024
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
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गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व

गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।

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15th December 2024
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
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पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना

देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।

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15th December 2024
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
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क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?

ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।

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अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
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अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण

अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।

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15th December 2024
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
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अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।

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कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
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कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व

कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।

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15th December 2024
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
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'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल

नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।

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15th December 2024