फसलों के उत्पादन में स्थिरता कृषि विकास में प्रमुख चिंता का विषय बन गई है। देश भर में और राज्य में किसानों की वर्तमान सामाजिक आर्थिक स्थिति स्वस्थ नहीं है। हरित क्रांति के युग में, पौधों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए सभी कीटनाशकों जैसे कवकनाशी, कीटनाशक, खरपतवारनाशी सहित पौध संरक्षण रसायनों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था। वैज्ञानिक सर्वेक्षणों और साक्ष्यों से संकेत मिलता है कि कीटनाशकों के कण, छिड़काव या फसलों पर उपयोग किए जाने वाले अघुलनशील और हानिकारक तत्व छोड़ देते हैं जो अनाज, सब्जियों, फलों और घासों के माध्यम से मानव और अन्य जीवित शरीरों में स्थानांतरित हो जाते हैं, जिससे कई बीमारियां और हमारे शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। रासायनिक आधारित खेती के साथ-साथ जैविक खेती के दुष्परिणामों को दूर करने के लिए, सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की शुरुआत-पदम श्री सुभाष पालेकर द्वारा सुझाई गई एक अवधारणा, एक व्यवहार्य और टिकाऊ विकल्प है। मिट्टी में अरबों सूक्ष्मजीव उपलब्ध हैं लेकिन रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के निरंतर उपयोग ने इनकी आबादी को कम कर दिया है और इसे फिर से जीवंत करने की आवश्यकता है। घरेलू भारतीय गायों का गोबर और मूत्र इन रोगाणुओं का अच्छा स्रोत है। एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ के बीच लाभकारी सूक्ष्म जीव हो सकते हैं। ये मिट्टी में मौजूद बायोमास को विघटित कर इसे फसल के उपयोग के लिए पोषक तत्वों में परिवर्तित करते हैं।
Esta historia es de la edición October 01, 2023 de Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।