ईसबगोल एक महत्वपूर्ण नगदी औषधी की फसल है, जो रबी के मौसम में उगाई जाती है। यह फसल प्रमुखत: गुजरात, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में उगाई जाती है। पिछले कुछ वर्षों से इसका उत्पादन मध्यप्रदेश में भी होने लगा है। ईसबगोल के बीजों पर पाया जाने वाला पतला छिलका ही उसका औषधीय उत्पाद होता है।
इस औषधि को पेट की सफाई, कब्जियत, अल्सर, बवासीर, दस्त तथा आव-पेचिश जैसी शारीरिक बीमारियों को दूर करने में आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग प्रिंटिंग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों जैसे आइस्कीम तथा रंगरोगन के काम में भी होता है। भारत इसका सर्वाधिक उत्पादक एवं निर्यातक देश है।
विश्व बाजार में जैविक पद्धति से उगाये गये ईसबगोल की मांग अत्याधिक है। ईसबगोल को कम पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और इस आवश्यकता की पूर्ति जैविक खादों से आसानी से की जा सकती है। इस लेख में अधिकतम उत्पादन के लिए ईसबगोल की जैविक खेती कैसे करें की पूरी जानकारी का उल्लेख किया गया है।
जैविक ईसबगोल उत्पादन आवश्यक क्यों?
1. ईसबगोल को कम पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिससे इस फसल को आसानी से जैविक पद्धति में रूपान्तरण अवधि के दौरान बिना किसी उपज में कमी के उगाया जा सकता है।
2. विश्व बाजार में ईसबगोल की माँग अत्याधिक है, जब इसका उत्पादन जैविक पद्धति से किया गया हो।
3. जैविक कृषि से भूमि उर्वरता तथा स्वास्थ्य के साथ-साथ मृदा में होने वाली जैविक क्रियाओं में सुधार होता है।
4. खादों और कीटों व बीमारियों की रोकथाम में काम आने वाली चीजों का उत्पादन किसानों को अपने खेत पर ही करना चाहिए जिससे उत्पादन लागत में कमी आती है।
5. किसानों को प्रमाणित जैविक ईसबगोल का उचित मूल्य मिलता है जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
6. जैविक कृषि में फार्म अवशिष्ट तथा कचरे के उचित प्रबंधन के कारण प्राकृतिक संतुलन बना रहता है और साथ ही पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आती है।
वर्तमान समय में भारतीय भूमि विज्ञान संस्थान, भोपाल में किये गये शोध कार्य से जैविक ईसबगोल उत्पादन के लिए उत्पादन तकनीकी का प्रारूप तैयार किया गया है। जो इस प्रकार से हैं, जैसे -
Esta historia es de la edición November 01, 2023 de Modern Kheti - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición November 01, 2023 de Modern Kheti - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।