
कृषि योग्य मिट्टी में भारी धातु (heavy-metals) का बढ़ता संचय विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा और पारिस्थितिक तंत्र पर हानिकारक प्रभावों के कारण, हाल के वर्षों में सभी का ध्यान आकर्षित किया है। सामान्यतः मिट्टी में सीसा (Pb), क्रोमियम (Cr), आर्सेनिक (As), जस्ता (Zn), कैडमियम (Cd), तांबा (Cu), पारा (Hg ) और निकल (Ni) जैसी धातु ज्यादा पाई जाती है। मृदा आज इन भारी धातुओं का सिंक (sink) बनती चली जा रही है चाहे वो कल-कारखाने से निकलने वाली व अन्य मानवजनित गतिविधियों या प्राकृतिक रूप से रिसने वाली धातुएं, सब जाकर मिट्टी में ही इकट्ठा हो रही हैं। इसके अलावा गहन - कृषि (Intensive agriculture) क्रियाएं, अत्याधिक रासायनिक खादों, कीटनाशक, खरपतवारनाशक, ग्रोथ प्रमोटर्स इत्यादि का प्रयोग कृषि योग्य भूमि को प्रदूषित कर रहा है। दूसरी ओर बरसात या नम क्षेत्रों में एसिड-आधारित उर्वरकों का उपयोग अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी का पीएच (pH) कम कर देता है जो मृदा में मौजूद भारी धातुओं की मोबिलिटी बढ़ा देता और वो परेनटल रॉक से ऊपर कृषि योग्य मृदा में आ जाते हैं। मृदा में बढ़ता प्रदूषण कई अन्य समस्याओं को भी जन्म दे रहा है जैसे कि पीने योग्य पानी को प्रदूषित करना, प्रदूषक का खाद्य फसलों में इकट्ठा होना, कृषि योग्य जीवाणुओं को प्रभावित करना इत्यादि इत्यादि। नई तरह के प्रदूषण (नैनोकण) का खतरा (पर्यावरण में बढ़ते नैनोकण व भारी धातुएं तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव)
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कृषि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाली 'मिलेट क्वीन' - रायमती घुरिया
ओडिशा के कोरापुट जिले की 36 वर्षीय आदिवासी महिला किसान रायमती घुरिया को कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी करने के लिए अधिक उत्पादन जरुरी है, प्रत्येक फसल के बाद भूमि में पोषक तत्वों की जो कमी आती है, उनकी पूर्ति करना आवश्यक है, वरना भूमि की उपजाऊ शक्ति व पैदावार में कमी आयेगी।

फलों के पेड़ लगाने की करें तैयारी
कंपनियों के झूठे प्रचार ने पंजाबियों को दूध, लस्सी और घी से दूर कर दिया है। रात को सोने से पहले एक गिलास दूध पीना पुरानी बात हो गई है।

गेहूं के प्रमुख कीटों की रोकथाम कैसे करें ?
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्य फसल है।

"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।

नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति बढ़ रहे खदशे
किसानों एवं सरकार को हर वर्ष पारंपरिक दानेदार यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा वर्ष हो जब यूरिया की निर्विघ्न सप्लाई हुई हो।

घुइया या अरवी की खेती में कीट एवं रोगों का प्रबंधन
परिचय : अरवी की खेती उत्तरी भारत में नगदी फसल के रूप में की जाती है। इससे प्राप्त घनकंदों तथा गांठों का प्रयोग शाक की तरह करते हैं।

पौधों के प्रजनन में परागण की भूमिका
परागण किसी भी पुष्पीय पौधे के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे निषेचन और बीज निर्माण की प्रक्रिया पूरी होती है।

केरल कृषि विश्वविद्यालय ने बीज रहित तरबूज किया विकसित
केरल कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग ने तरबूज की ऐसी किस्म विकसित की है, जो अपने रंग और बिना बीजों की वजह से चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, नई किस्म के तरबूज का गुद्दा लाल की बजाये ऑरेंज कलर का है।

कृषि विविधीकरण में सूरजमुखी सहायक
सूरजमुखी विश्व की प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका मूल स्रोत उत्तरी अमेरिका है।