फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) की जैविक खेती इसके उत्पादकों के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है। क्योंकि यह दोहरे लाभ वाली फसल है। इसकी हरी फलियों का उपयोग सब्जी में जबकि पके दानों का दाल के लिए होता है और फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) में मुख्यतः पानी, प्रोटीन, कुछ मात्रा में वसा तथा कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन, नियासीन, विटामिन सी आदि मौजूद होते हैं। यह विटामिन बी-2 का मुख्य स्रोत हैं। यह ह्रदय रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं।
फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) के अनेक लाभ को देखते हुए इसकी जैविक खेती फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि रासायनिक फसल से प्राप्त उत्पाद मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हुए है। फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) की जैविक फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कृषकों को इसकी खेती वैज्ञानिक तकनीक से करनी चाहिए। इस लेख में फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) की जैविक उन्नत खेती कैसे करें का उल्लेख किया गया है।
फ्रांसबीन की जैविक खेती के लिए उपयुक्त जलवायु: फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) के लिए हल्की गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके सफल उत्पादन के लिए 18 से 21 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। अधिक ठंड और गर्मी दोनों, इसके लिए। हानिकारक हैं। इसके लिए लगातार 3 महीने अनुमूल मौसम चाहिए।
फ्रांसबीन की जैविक खेती के लिए भूमि का चयन: फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) की सफल जैविक खेती के लिए रेतीली से लेकर भारी चिकनी मिट्टी जिसका पी एच स्तर 5.5 से 6 है तथा जिसमें जैविक कार्बन एक प्रतिशत से ज्यादा है, वह इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। मिट्टी का पी एच स्तर जैविक कार्बन, गौण पोषक तत्व (एन पी के), सूक्ष्म पोषक तत्व और खेत में सूक्ष्म जीवों के प्रभाव की मात्रा की जांच करने के लिए वर्ष में एक बार मिट्टी परीक्षण जरूरी है।
फ्रांसबीन की जैविक खेती के लिए खेत की तैयारी
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।