नरमे के रोग और उनका निवारण
Modern Kheti - Hindi|January 15, 2024
नरमा खरीफ ऋतु की मुख्य नकदी फसल है, जिसकी बिजाई 15 अप्रैल से जून के पहले पखवाड़े तक की जाती है।
पूजा, प्रशांत चौहान
नरमे के रोग और उनका निवारण

बीज की मात्रा देसी प्रजाति के लिये 5 किग्रा. प्रति एकड़ (67.5x30 सैंटीमीटर, बी टी संकर के लिये 0.850 किग्रा0 प्रति एकड़ और अमेरिकन प्रजाति के लिये 6-8 किग्रा० प्रति एकड़ (100x20 सैंटीमीटर) पर्याप्त होती है। बीज के ज्यादा उपज के लिए उसको बीजाई से पहले 5-6 घंटों के लिए पानी में भिगो देना चाहिए, बीज की बुवाई 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर करनी चाहिए।

नरमे में खाद: सभी खादों का इस्तेमाल मिट्टी की जांच कराने के बाद ही करें।

ट्रैक्टर चालित हैरो खेत की तैयारी के लिये हरियाणा में इस्तेमाल की जाती है तथा बिजाई के बाद भी नरमे की फसल में एक से दो बार खरपतवार को पहली सिंचाई से पहले निकाल देना चाहिए तथा पहली सिंचाई के बाद कसले की सहायता से एक दो बार खरपतवार को साफ कर दें। इसकी फसल काल में 800-1000 मिमी0 पानी की आवश्यकता पड़ती हैं। जिसके लिये अप्रैल से सितंबर माह में फसल को सूखे से बचाने के लिये चार पानी लगाने की जरूरत होती है बाकी पानी की पूर्ति वर्षा द्वारा हो जाती है। हरियाणा में नरमे के लिये उपयुक्त फसल चक्र नरमा-गेहूं, नरमा- सरसों, नरमा-बरसीम हैं।

नरमे की किस्में -

Esta historia es de la edición January 15, 2024 de Modern Kheti - Hindi.

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