अनेक खाद्य पदार्थ, जैसे फल वर्ष में एक बार होते हैं। ज्यादातर फसलें वर्ष में एक बार लगाई जाती है। अतः ये सभी खाद्य पदार्थ एक विशेष मौसम में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं, जबकि अन्य मौसम में ये उपलब्ध नहीं होते। मानव जाति ने विभिन्न खाद्य पदार्थों को पूरे वर्ष उपलब्ध कराने के तरीके खोज निकाले हैं। इन सभी विधियों और तरीकों का मूल सिद्धांत एक ही है- खाद्य पदार्थों को सड़ने से बचाना, जिससे वे लम्बे समय तक प्रयोग में लाए जा सकें। अतः हम कह सकते हैं कि खाद्य संरक्षण एक विज्ञान है, जिसमें अलग-अलग विधियों व तकनीकियों का प्रयोग करके भोजन को सड़ने से बचाया जा सकता है। भोजन को एक दिन, या दो दिन या पूरा वर्ष संरक्षित रख सकते हैं और यह निर्भर करता है भोजन संरक्षित रखने की विधि पर।
आहार संरक्षण के सिद्धांत:
1. सूक्ष्म जीवी को दूर: जहां तक संभव हो सूक्ष्म जीवाणु का भोजन में प्रवेश रोकना चाहिए। नमक, चीनी, तेल, सिरका का आहार संरक्षक के रूप में इस्तेमाल, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में नाइट्रोजन गैस का माध्यम के रूप में प्रयोग इस सिद्धांत के प्रयोग के कुछ उदाहरण है।
2. नमी को हटाना: सूक्ष्म जीवियों और एन्जाइम की बढ़ोतरी व एन्जाइम की प्रक्रिया को बहुत कम कर सकते हैं या खत्म कर सकते हैं। इस सिद्धांत को प्रयोग में लाने वाली विधि है-सब्जियों, फलों, दूध, अनाज, दालों इत्यादि को सुखाना।
3. सूक्ष्म जीवाणुओं को मारना तथा एन्जाइम को खत्म करना: सूक्ष्म जीवाणुओं व एन्जाइम को खत्म करके भी भोजन को संरक्षित किया जा सकता है। इस सिद्धांत को प्रयोग में लाने वाली विधियां हैं - उबालना, पाश्चुरीकरण आदि।
4. सूक्ष्म जीवियों की वृद्धि व एन्जाइम की प्रक्रिया को रोकना: सूक्ष्म जीवियों की वृद्धि को कम ताप 1-6 सी से कम कर सकते हैं तथा फ्रीजिंग तापमान सी से नीचे पर रोक सकते हैं। इस सिद्धांत को प्रयोग में लाने वाली विधियां हैंरेफ्रीजरेशन, फ्रीजिंग, खाद्य संरक्षक का प्रयोग जैसे नमक, सिरका, चीनी व रासायनिक संरक्षक।
आहार संरक्षक की विधियां: संरक्षण की विधि में शामिल हैं:
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।