सहजन: प्राकृतिक औषधि गुणों का भंडार
Modern Kheti - Hindi|15th February 2024
सहजन, शोभाजन, मरूगई, मरूनागाई या मुनगा आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण हैं। सहजन पूरे भारत में सुगमता से पाया जाने वाला पेड़ है। सहजन के पत्ते, फूल, फलियां, बीज व छाल सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता है। सहजन के पत्ते एवं फलियां शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ शरीर में उपस्थित एवं विषैले तत्वों को निकालने का काम करते हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, विटामिन सी और बी. काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सहजन की सब्जी के साथ-साथ इसकी पत्तियां भी बहुत गुणकारी होती हैं।
प्रतिभा ठोंबरे व सुनील कुमार
सहजन: प्राकृतिक औषधि गुणों का भंडार

सहजन की प्रमुख किस्में: 

रोहित-1: पौधारोपन के 4 से 6 महीने के बाद ये उत्पादन शुरू कर देता है और 10 साल तक व्यावसायिक उत्पादन होता रहता है। (एक साल में दो फसल)। सहजन की छड़ी गहरे हरे रंग की 45 से 60 इंच की होती है और इसका गुदा मुलायम, स्वादिष्ट होता है और इसकी गुणवत्ता भी बहुत है अच्छी है। एक पौधे से 40 से 135 साईजन मिल सकता है जो करीब तीन से दस किलो तक होता है। पौधे की पैदावार और गुणवत्ता मौसम, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई सुविधा और पौधों के बीच अंतराल पर निर्भर करता है। इसके बाद इसकी कीमत सहजन की गुणवत्ता और मांग पर निर्भर करती है।

कोयम्बटूर-2: इसकी छड़ी की लंबाई 25 से 35 सैंमी होती है। छड़ी का रंग गहरा हरा और स्वादिष्ट होता है। प्रत्येक पौधा करीब 250 से 375 छड़ी पैदा करता है। इसकी प्रत्येक छड़ी भारी और गुद्देदार होती है। प्रत्येक पौधा तीन से चार साल तक उपज देता है। अगर पौधे से उपज पहले नहीं लिया गया तो इसका बाजार मूल्य खत्म हो जाता है।

पी.के.एम 1: पौधारोपन के बाद इसमें फूल आने लगते हैं और 8 से 9 महीने के बाद इसकी उपज शुरू हो जाती है। साल में दो बार इसकी फसल होती है। इसके पौधे से करीब 200 से 350 छड़ी पैदा होती है जो लगातार 4 से 5 साल तक उपज देती है। इसकी प्रत्येक छड़ी लंबाई में बड़ी होती है और स्थानीय बाजार के मुकाबले इसकी मांग खासकर बड़े शहरों में होती है।

पी.के.एम 2: इस किस्म की कच्ची छड़ी का रंग हरा होता है और स्वादिष्ट होता है। प्रत्येक छड़ी की लंबाई 45 से 75 सैंमी होती है। प्रत्येक पौधा करीब 300 से 400 छड़ी पैदा करता है। यह किस्म अच्छी किस्म की फसल पैदा करता है लेकिन इसमें ज्यादा पानी की जरूरत होती है।

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