एक तरफ सरकार खाद्य तेलों का आयात कम करने के नाम पर जीएम सरसों को मंजूरी देने को उत्सुक है तो दूसरी तरफ इसकी मंजूरी का विरोध करने वाले समूह इसके नकारात्मक प्रभावों के आधार पर जीएम सरसों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। बीटी बैंगन की लड़ाई ज्यादातर जमीनी स्तर पर लड़ी गई, जबकि जीएम सरसों का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लड़ा जा रहा है। आनुवंशिक रूप से संशोधित शाकनाशी सहिष्णु चावल को मंजूरी देने के मुद्दे पर 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई जिसमें दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा किए गए दावे भारत में पर्यावरण, स्वास्थ्य और कृषि मुद्दों के आधार पर जीएम फसलों का विरोध करने वाले गठबंधन द्वारा अप्रासंगिक, भ्रामक और गलत थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि भारत में पहले से ही जीएम खाद्य तेलों का बड़े पैमाने पर आयात किया जा रहा है और भारत की आबादी पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं है। जवाब में, गठबंधन के सदस्यों ने कहा कि यह तर्क कि जीएम खाद्य तेलों की खपत से भारतीय आबादी को कोई नुकसान नहीं हुआ है, अवैज्ञानिक है, क्योंकि दावे के समर्थन में कोई वैज्ञानिक डेटा प्रस्तुत नहीं किया गया था। उल्लेखनीय है कि विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विरोध की पूरी जानकारी होने के बावजूद जीएम खाद्य फसलों को मंजूरी दी गई और लगाई गई। प्रदर्शनकारियों में भारत के लगभग सभी प्रमुख किसान संगठन, मधुमक्खी पालक संगठन और शहद निर्यातक, कृषि विज्ञानी और चिकित्सा विशेषज्ञ, जैवप्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और पर्यावरण विशेषज्ञ, उपभोक्ता समूह, प्राकृतिक कृषि संगठन आदि शामिल हैं। जीएम फसलों का विरोध करने वाले समूहों के पास कुछ मुख्य तर्क हैं।
एचटी फसलों पर नियंत्रण क्षमताओं का अभाव
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।