धान की सीधी बिजाई
Modern Kheti - Hindi|1st June 2024
धान-गेहूं हरियाणा का मुख्य फसल चक्र है। हरियाणा में धान की फसल 15.6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है। कुल धान के क्षेत्र में से दो तिहाई क्षेत्र में बासमती धान ली जाती है। राज्य में धान की सिंचाई अधिकतर टयूबवैलों के पानी पर निर्भर है और अधिकतर टयूबवैलों का पानी नमक/लवण के कारण खराब है।
डॉ. अमित कुमार, डॉ. जसबीर सिंह, डॉ. दीपक कुमार और डॉ. राजेश कथवाल
धान की सीधी बिजाई

इसके अतिरिक्त राज्य का औसतन भू-जल स्तर भी गिरता जा रहा है जो कि 2016 में 19.6 मीटर से गिरकर 2023 में 21.8 मीटर तक पहुंच गया है। रोपित धान में खेत को कद्दू किया जाता है ताकि उसमें पानी ज्यादा समय तक ठहर सके लेकिन इससे मिट्टी के सूक्ष्म छिद्र बंद हो जाते हैं। इस प्रक्रिया के कारण खेत में पानी का रिसाव नहीं होता। नतीजन भूजल पुनर्भरण नहीं हो पाता। दूसरी ओर मशीनीकरण के इस दौर में धान की रोपाई के लिए प्रवासी श्रमिक की उपलब्धता में भी कमी आई है। इन समस्याओं के बावजूद भी किसान धान की फसल को छोड़कर दूसरी फसलों पर नहीं जाना चाहता क्योकि धान खरीफ सीजन की आश्वस्त फसल है। अतः इन सभी बातों को मध्यनजर रखते हुए, धान की सीधी बिजाई किसानों के लिए एक बढ़िया विकल्प एवं वरदान साबित हो सकती हैं।

भूमि: धान की सीधी बिजाई रेतीली जमीन में न करें व धान की सीधी बिजाई रोपित धान ली जाने वाली भूमि पर ही करें। हालांकि मध्यम संरचना वाली भूमि ज्यादा उपयुक्त है।

खेत की तैयारी: सीधी बिजाई वाले खेत में पहले लेजर समतलीकरण लगा दें जिससे पानी की बचत व बीज का जमाव एकसमान होता है।

बिजाई का समय: बासमती धान की सीधी बिजाई 25 जून तक की जा सकती है। जून माह से पहले बासमती धान की अगेती बिजाई नहीं करनी चाहिए क्योकि इससे पैदावार में कमी आएगी व लागत भी अधिक होगी। वही गैर बासमती धान की सीधी बिजाई का समय 25 मई से 15 जून है। ध्यान रहे कि फसल का जमाव मानसून शुरू होने से पहले हो जाए।

किस्में: बासमती धान की सभी किस्में पी. बी. 1, पी.बी. 1121, पी. बी. 1509, पी.बी. 1885, पी. बी. 1886 सीधी बिजाई के लिए उपयुक्त हैं। गैर बासमती धान एवं संकर प्रजाति की कम व मध्यम अवधी वाली किस्में भी धान की सीधी बिजाई में प्रयोग की जा सकती हैं।

बीज की मात्रा एवं उपचार: बीज की 8.0 कि.ग्रा./एकड़ मात्रा उपयुक्त है। बीज का उपचार सिफारिशशुदा दवाओं के घोल (10 कि.ग्रा. बीज हेतु 10 ग्राम बाविस्टीन + 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन या 2.5 ग्राम पौसामाईसिन का 10 लीटर पानी में घोल) में 24 घंटे डुबोकर करें। तदुपरान्त, बीज को 1-2 घंटे छाया में सुखाएं ताकि अतिरिक्त नमी उड़ जाए व ड्रिल द्वारा बिजाई योग्य हो जाएं।

Esta historia es de la edición 1st June 2024 de Modern Kheti - Hindi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

Esta historia es de la edición 1st June 2024 de Modern Kheti - Hindi.

Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.

MÁS HISTORIAS DE MODERN KHETI - HINDIVer todo
गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
Modern Kheti - Hindi

गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम

सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।

time-read
2 minutos  |
15th December 2024
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
Modern Kheti - Hindi

हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका

भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।

time-read
4 minutos  |
15th December 2024
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
Modern Kheti - Hindi

सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ

सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।

time-read
5 minutos  |
15th December 2024
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
Modern Kheti - Hindi

गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व

गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।

time-read
4 minutos  |
15th December 2024
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
Modern Kheti - Hindi

पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना

देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।

time-read
3 minutos  |
15th December 2024
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
Modern Kheti - Hindi

क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?

ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।

time-read
9 minutos  |
15th December 2024
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
Modern Kheti - Hindi

अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण

अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।

time-read
5 minutos  |
15th December 2024
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
Modern Kheti - Hindi

मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें

अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।

time-read
3 minutos  |
15th December 2024
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
Modern Kheti - Hindi

कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व

कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।

time-read
10+ minutos  |
15th December 2024
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
Modern Kheti - Hindi

'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल

नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।

time-read
2 minutos  |
15th December 2024