मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम
Modern Kheti - Hindi|15th June 2024
मूंग की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि फसल है जो कि भारत में व्यापक रुप पैदा की जाती है। मूंग एक प्रमुख दाल है जो उत्तर भारत में प्रमुखता से उगाई जाती है, लेकिन यह दक्षिण भारत में भी कई जगहों पर उत्पादित की जाती है। मूंग की खेती के लिए उचित मौसम और जलवायु बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसकी बुआई गर्मी के मौसम में की जाती है, जबकि इसकी पूरी फसल की कटाई शीत ऋतु में की जाती है। मूंग की फसल के लिए अच्छी खेती के लिए अच्छी जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें अच्छी वर्षा, सही तापमान और प्राकृतिक परिपत्रों की सहायता होती है। मूंग की खेती में किसानों को सबसे अधिक नुकसान रोगों के कारण होता है। इस लेख में हम मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों और उनके नियंत्रण के बारे में जानकारी देंगे।
मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम

मूंग की फसल में कौन-कौन से रोग लगते हैं?

मूंग की फसल कई रोगों से प्रभावित होती है जिसके कारण किसानों को फसल की कम उपज प्राप्त होती है। इन रोगों का समय पर उपचार करना बहुत आवश्यक है। मूंग की फसल को रोगों से बचाने के लिए प्राकृतिक या रासायनिक उपायों का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए फसल संरक्षण उत्पादों का प्रयोग किया जा सकता है।

मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों और उनके बचाव के बारे में जानकारी:

1. पाउडरी फफूंदी रोग (Powdery mildew)

ये मूंग की फसल के घातक रोगों में से एक है। इस रोग का प्रकोप मूंग की फलियों में पाउडरी फफूंदी के रूप में व्यापक रूप से देखा जा सकता है।

• पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद पाउडर जैसे धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में फीके रंग के हो जाते हैं।

• ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ते हैं और निचली सतह को भी ढकते हुए गोलाकार हो। जाते हैं।

• जब संक्रमण गंभीर होता है तो पत्तियों की दोनों सतह पूरी तरह से सफेदी से ढक जाती हैं। खस्ता विकास गंभीर रूप से प्रभावित भाग सिकुड़कर विकृत हो जाते हैं।

• गंभीर संक्रमण में पत्तियां पीली हो जाती हैं जिससे समय से पहले पत्तियां गिर जाती हैं।

• यह रोग जबरन परिपक्वता भी पैदा करता है, जिससे संक्रमित पौधों के परिणामस्वरूप भारी उपज हानि होती है।

पाउडरी फफूंदी रोग नियंत्रण के उपाय

• फसल को रोग के प्रकोप से बचाने के लिए केवल रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही प्रयोग करें।

• फसल में रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित पौधों को हटाएं और नष्ट करें।

• मूंग के खेत में 10 दिनों के अंतराल पर एनएसकेई ञ्च 5न या नीम तेल ञ्च उन का दो बार छिड़काव करें।

मूंग की फसल को रोग के शुरुआती प्रकोप से बचने के लिए बीज जून के महीने में जल्दी बोना चाहिए।

• अगर खेत में रोग का प्रकोप दिखाई देता है तो कार्बेन्डाजिम 200 ग्राम या वेटटेबल सल्फर 600 ग्राम या ट्राइडेमोर्फ 200 द्वद्य का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से करें।

• इस छिड़काव को 15 दिन बाद फिर से दोहराएँ।

2. एन्थ्राक्नोज रोग (Anthracnose)

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