![जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक गंभीर समस्या जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक गंभीर समस्या](https://cdn.magzter.com/1344336963/1729078518/articles/aH07EoCSz1729158903930/1729159342677.jpg)
आंकड़े दर्शाते हैं कि 19वीं सदी के अंत से अब तक पृथ्वी की सतह का औसत तापमान लगभग 1.62 डिग्री फॉरनहाइट (अर्थात लगभग 0.9 डिग्री सेल्सियस) बढ़ा है। इसके अलावा पिछली सदी से अब तक समुद्र के जल स्तर में भी लगभग 8 इंच की बढ़ोतरी देखी गई है। आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि यह समय जलवायु परिवर्तन की दिशा में गंभीरता से सोचने का है।
जलवायु परिवर्तन क्या है?
जलवायु परिवर्तन को पूर्णरूप से समझने से पहले यह समझ लेना आवश्यक है कि जलवायु क्या है? सामान्यतः जलवायु का तात्पर्य किसी दिये गए क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है।
अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन देखा जाता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं।
जलवायु परिवर्तन को किसी एक स्थान विशेष में भी महसूस किया जा सकता है एवं संपूर्ण विश्व में भी। यदि वर्तमान संदर्भ में बात करें तो यह इसका प्रभाव लगभग संपूर्ण विश्व में देखा जा रहा है। पृथ्वी के पूरे इतिहास में यहां की जलवायु बहुत बार परिवर्तित हुई है एवं जलवायु परिवर्तन की अनेक घटनाएं सामने आई हैं।
पृथ्वी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी का तापमान बीते 100 वर्षों में 1 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ गया है। पृथ्वी के तापमान में यह परिवर्तन संख्या की दृष्टि से काफी कम हो सकता है, परंतु इस प्रकार के किसी भी परिवर्तन का मानव जाति पर बड़ा असर नहीं हुआ है।
जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को वर्तमान में भी महसूस किया जा सकता है। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से बर्फ पिघल रही है और महासागरों का जल बढ़ रहा है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है। जलवायु परिवर्तन किसी अचानक आई विपदा की भांति प्रभावी न होकर धीरे-धीरे पृथ्वी और यहां रहने वाले जीवों के लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनेक समस्याओं को जन्म देती है। जलवायु परिवर्तन का आशय तापमान, बारिश, हवा नमी जैसे जलवायुवीय घटकों में दीर्घकाल के दौरान होने वाले परिवर्तनों से है। जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य उन बदलावों से है जिन्हें हम लगातार अनुभव कर रहे हैं।
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![गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/gB1CCsHpi1734435515778/1734435649871.jpg)
गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
![हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/kA9UYZJ2v1734435086393/1734435483314.jpg)
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
![सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/ghq2JPJWY1734434643276/1734435044288.jpg)
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
![गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/t4BZGic7Q1734434364999/1734434547790.jpg)
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
![पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/RDC46ua8z1734434158897/1734434324086.jpg)
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
![क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी? क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/AfGWzx_gx1734433085237/1734434097887.jpg)
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
![अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/up-gRbuAm1734432738955/1734433023243.jpg)
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
![मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/cD-aQZb561734432341666/1734432732708.jpg)
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
![कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1930642/2zYVuZtrY1734431609490/1734432314680.jpg)
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
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'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।