जंगल की रक्षा की जिम्मेदारी हैरी हाथी पर थी. वह जंगल को कटने से बचाने में उस की पहरेदारी किया करता था.
“पापा, आज मैं भी आप के साथ चलूंगा,” जैरी ने हैरी हाथी से कहा.
“आज तुम्हें स्कूल नहीं जाना है क्या?” हैरी ने पूछा.
“आज हमारे स्कूल की छुट्टी है पापा,” जैरी बोला, "मुझे भी उन अजीब जानवरों को देखना है जो जंगल को नुकसान पहुंचाते हैं."
भला, हैरी को क्या ऐतराज हो सकता था. उस का बेटा हराभरा जंगल और उस के दुश्मनों के बारे में जानना चाहता था, जिन्होंने उन के जंगल को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
नष्ट होते जंगल को बचाने के लिए उन्हें यह उपाय करना पड़ा. बारीबारी से सभी जानवर जंगल की रखवाली करते थे, ताकि अजीब जानवर जंगल को नष्ट न कर पाएं.
“चलो, अब चलते हैं," कहते हुए हैरी अपने बेटे के साथ जंगल के बाहरी हिस्से की ओर चल पड़ा.
जैसे ही वे जंगल से बाहर के रास्ते पर आए उन्हें वह अजीब जानवर दिखाई दे गया.
“देखो, वह रहा अजीब जानवर," हैरी ने इशारा करते हुए कहा. जैरी चौंक गया, "हां, यह तो बहुत ही अजीब जानवर है,” उस ने बड़े गौर से उस जानवर को देखा.
फिर उस ने अपने कान पर हाथ लगाते हुए कहा, "मेरे कान देखो, कितने बड़े हैं? इन से मैं मक्खी भगाता हूं और हवा भी करता हूं. यह मेरी शान है.
“सही कहते हो बेटा, " हैरी ने कहा.
“लेकिन, उस के कान देखो. बहुत छोटे हैं," जैरी ने कहा.
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