विकास अग्निहोत्री जब भी शाहजहांपुर में मातापिता के दूसरे रिश्तेदारों से मिलता था, तब उसे अकसर ताने सुनने को मिलते थे, "तुम्हारे असली मांबाप तो कोई और हैं. तुम गोद लिए हुए नकली बेटे हो." जबकि वह अग्निहोत्री दंपति की 3 संतानों में दूसरे नंबर पर था. 'नकली बेटा' शब्द कानों में गर्म शीशे की तरह पड़ते थे और मन कचोटने लगता था.
जब वह 10 साल का हुआ, तब एक बार पिता राजेश अग्निहोत्री से उस ने जानने की जिद कर दी कि उस के असली मांबाप कौन हैं? उस की जिद पर राजेश ने असली मां का पता बता दिया, जो लखनऊ में रहती थी. उस के असली बाप के बारे में उन्हें भी कोई जानकारी नहीं थी.
विकास ने राजेश को साथ ले जा कर अपनी मां से मिलवाने के लिए कहा. किंतु राजेश ने आजकल करते हुए 2 साल निकाल दिए. एक दिन राजेश को कुछ बताए बगैर विकास खुद लखनऊ जा पहुंचा.
बताए गए पते पर वह पहुंचा तो वहां क्षमा सिंह मिली. विकास ने जब उन्हें राजेश अग्निहोत्री के बारे में बताया तब उसे देख कर वह हतप्रभ रह गई. झट से गले लगा लिया. विकास को समझते देर नहीं लगी. भावुक हो गई. आंखों से आंसू निकल आए. खुशी के आंसू विकास की आंखों से भी निकलने लगे.
क्षमा सिंह से रोते हुए विकास ने बताया कि वह अब उन के पास रहने के लिए आया है. अब राजेश अग्निहोत्री के घर नहीं जाएगा. उस ने यह भी बताया कि वह जहां था, वहां उसे जरा भी प्यार नहीं मिलता था. सभी उसे दुत्कारते रहते थे. यहां तक कि राजेश भी उसे पापा कह कर बुलाने से मना करते थे.
यह सुन कर क्षमा का दिल और भर आया. पहली बार गले लगे बेटे विकास से बोली, "कोई बात नहीं बेटा, अब तुम यहीं रहना."
इस तरह विकास की नई जिंदगी शुरू हो गई. उसे अपनी मां मिल गई थी और परिवार में उस से 2 साल कम उम्र का एक भाई भी मिल गया था.
लखनऊ में क्षमा सिंह अपने 5 साल के बेटे के साथ रहने के लिए आई थी. जीविका चलाने के लिए ब्यूटीपार्लर में काम करती थी. विकास जल्द ही परिवार में घुलमिल गया था. क्षमा भी 2 बेटों को पा कर खुद को धन्य महसूस करने लगी.
Esta historia es de la edición November 2022 de Manohar Kahaniyan.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición November 2022 de Manohar Kahaniyan.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
तांत्रिक के बहकावे में दी बेटी की बलि
मामला मुजफ्फरनगर के भोपा थाना क्षेत्र का है. यहां बेलदा गांव में रहने वाला गोपाल कश्यप और उस की बीवी ममता पर अपनी एक माह की बेटी की बलि देने का आरोप है. पुलिस के अनुसार दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है.
दूसरे धर्म के प्रेमी ने की हत्या
सलीम नाम के युवक ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर 19 साल की अपनी प्रेग्नेंट प्रेमिका की हत्या कर शव दफना दिया. को खुलासा तब हुआ, जब 26 अक्तूबर किशोरी का शव बरामद किया गया.
बीवी की हत्या से खुला दोस्त की पत्नी की हत्या का राज
बीवी ब्यूटीशियन और पति एक नंबर का नशेड़ी और बेशर्म. ऊपर निकम्मा व बेरोजगार. आखिर कितने दिन निभती. उन की जिंदगी के मैदान से ले कर मन तक में भी कोहराम मच गया था.
भाई ने कर दी भाई की हत्या
भाभी का देवर से हंसीमजाक बहुत ही 'सामान्य बात है, किंतु यही जब अवैध संबंध में बदल जाता है, तब मानो दोनों के सिर से पानी गुजरने जैसी स्थिति बन जाती है.
हनीट्रैप गैंग में ऐसे फंसते थे लोग
जेल से छूटने के बाद फिरोज ने 7 लोगों के साथ हनीट्रैप का एक गैंग बना लिया था. गैंग में शामिल निशा और जुनैदा फोन से नए लोगों से बात कर दोस्ती करतीं और शारीरिक संबंध बनाने के लिए किसी होटल में बुलाती थीं. इस के आगे का काम गैंग के अन्य सदस्य करते थे. फिर शुरू होती थी शिकार से लाखों रुपए की वसूली. आप भी जानें कि ऐसे गैंग से कैसे बचा जाए?
बड़ौदा के महाराजा का जहरीला कारनामा
बड़ौदा के 11वें शासक मल्हारराव गायकवाड़ के शासन में गुंडागर्दी और अराजकता चरम पर पहुंच गई थी. तब अंगरेज शासकों ने राबर्ट फेयर को रेजीडेंट के रूप में नियुक्त किया. लेकिन मल्हारराव ने जिस तरह राबर्ट फेयर को मारने की कोशिश की, वह उन्हीं के गले की ऐसी फांस बन गई कि .....
महानगरों में जड़ें जमाता ड्रग्स का कारोबार
गुजरात ऐसा राज्य है, जहां पर सुशासन क दुहाई देने वाली भाजपा की सरकार लंबे समय से है. इस के बावजूद इस राज्य के बंदरगाह पर भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी जा रही है. यहीं से ड्रग्स अन्य राज्यों में पहुंचाई जाती है. महानगरों के युवा बड़ी तेजी से ड्रग्स की गिरफ्त में आखिर क्यों आते जा रहे हैं?
साधु के भेष में मिला 300 करोड़ का घोटालेबाज
300 करोड़ रुपए का घोटाला कर एक क्रेडिट सोसाइटी का डायरेक्टर साधु बन कर मंदिरों में प्रवचन करने लगा. पुलिस की आंखों में 14 महीने से धूल झोंक रहे इस नटवरलाल को दबोचने के लिए आखिर कैसा कैसा चोला धारण करना पड़ा? पढ़िए, इस रोचक कहानी में....
इश्क में अंधे वकील ने ली बीवी की जान
कहने को तो विशाल चौहान कानून का रखवाला था, लेकिन उस ने बीवी बच्चों के रहते न सिर्फ छोटे भाई की पत्नी को फांस रखा था, बल्कि दोस्त की बहन से शादी करने की तैयारी कर रहा था. एक ने वकील होते हुए उस ने कानून तोड़ने का जो दुस्साहस किया था, उस के अंजाम में उस की 35 वर्षीय पत्नी वर्षा गोलियों का शिकार हो गई. आखिर किस कदर बिछती चली गई जुर्म की बिसात? पढ़ें, सब कुछ इस कथा में....
विवाहिता के प्यार में 4 हत्याएं
सरकारी टीचर सुनील गौतम अपनी पत्नी पूनम भारती और 2 बेटियों के साथ अमेठी में रहता था. वह अपने काम से काम रखता था. फिर एक दिन किसी ने सुनील, उस की पत्नी और दोनों बेटियों को घर में घुस कर गोलियों से भून डाला. आखिर कौन था हत्यारा और क्यों की उस ने ये हत्याएं ?