मोबाइल की घंटी बजी तो सोहित ने पलंग पर लेटेलेटे हाथ बढ़ा कर टेबल पर रखा मोबाइल फोन उठा कर उस की स्क्रीन पर फ्लैश होते नाम को देखा. स्क्रीन पर सलीम का नाम आ रहा था. सोहित ने तुरंत इस काल को रिसीव कर लिया.
वह हैरान स्वर में बोला, "हैलो सलीम भाई! आज मेरी याद कैसे आ गई?"
"मैं तुम्हें हमेशा दिल में रखता हूं सोहित, बस काल नहीं करता. क्यों नहीं करता, यह भी बता देता हूं. दरअसल, मैं उन दोस्तों को डिस्टर्ब नहीं करता हूं, जो काम में बिजी रहते हैं."
"यह तो कोई बात नहीं हुई." सोहित मुसकराया, "कोई कमा कर खा रहा है, उसे क्या भूल जाना चाहिए?"
"नहीं भाई," सलीम फिलौसफर की तरह बोला, "जब दोस्त की जरूरत हो तो उसे डिस्टर्ब करने में कोई बुराई नहीं होती."
"अपनी फिलोसफी अपने पास रखो. यह बताओ, मुझे किसलिए याद किया है?" सोहित ने पूछा.
"तुम से एक काम है यार."
"बोलो."
"सोहित, तुम गांव कथूरा (गोहाना, सोनीपत) में रहते हो. मैं तुम से तुम्हारे गांव के किसी खेत में गड्ढा खुदवाना चाहता हूं."
सोहित ने सिर खुजाया. सलीम की बात उस के पल्ले नहीं पड़ी थी.
"तुम्हारी बात मेरी समझ में नहीं आई है सलीम, स्पष्ट बताओ."
"मुझे तुम से खेत में गड्ढा खुदवाना है। यार!"
"क्या कह रहे हो?" सोहित के दिमाग में अभी भी सलीम की बात नहीं आई थी, "तुम मुझ से खेत में गड्ढा क्यों खुदवाना चाहते हो?"
"मैं उस गड्ढे में तुम्हारी भाभी को उतारना चाहता हूं." सलीम की ओर से आवाज में ठंडापन था.
"यानी जो तुम्हारी बीवी है, उसे तुम गड्ढे में दफन करना चाहते हो ?" सोहित चौंक कर बोला.
"यही समझ लो बोलो, तुम मेरे लिए यह काम कर दोगे?"
सोहित सोच में पड़ गया. कुछ देर के बाद उस ने कहा, “सलीम भाई, तुम जो कुछ करने को कह रहे हो, वह गलत है. यूं समझो, तुम मुझे हत्या की साजिश में शामिल कर रहे हो."
"ऐसा समझ सकते हो तुम. लेकिन दोस्तों के लिए ऐसा करना कोई अपराध नहीं होता है.
"चलो, मैं तुम्हारे लिए यह काम कर दूंगा." सोहित गंभीर स्वर में बोला, "लेकिन मेरी समझ में एक बात नहीं आई."
"कौन सी बात?"
"तुम भाभी को क्यों मारना चाहते हो? क्या वह तुम्हारे मन मुताबिक नहीं है?"
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