खबरों का टोटा पड़ना तो उसी दिन से बंद हो गया था, जिस दिन इलैक्ट्रौनिक मीडिया वजूद में आया लेकिन मीडिया के सोशल मीडिया में तब्दील होने के बाद तो खबरों की पैदावार बेतहाशा बढ़ी है. स्क्रीन पर हर मिनट में तमाम खबरें होती हैं. हालांकि इन की न्यूज वैल्यू न के बराबर होती है. खबरें अजीबोगरीब होने लगी हैं, जिन का आम लोगों और उन की परेशानियों से कोई लेनादेना नहीं होता.
ऐसी ही एक खबर पिछले दिनों राजस्थान से आई थी कि सचिन पायलट अशोक गहलोत गुट के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के यहां गए और उन्होंने उन के कुत्ते को पुचकारा भी.
यह वह दौर था जब राजस्थान की सियासी उठापटक जारी थी. इस के पहले कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने न बनने को ले कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट ने जो ड्रामा किया था, उस से देश भर में रोमांच छा गया था कि अब क्या होगा.
यह सस्पेंस कभी भी टूटे, लेकिन सचिन पायलट के कुत्ता प्रेम को ले कर लोगों ने खूब चटखारे लिए थे क्योंकि प्रताप सिंह गहलोत गुट के कद्दावर नेता माने जाते हैं. सोशल मीडिया उन के कुत्ते और सचिन पायलट की तसवीरों और कमेंट्स से भरा पड़ा रहा.
कुत्ते के बहाने हर किसी ने अपनी बात कही और भड़ास भी निकाली. इस में भी हैरानी की बात यह रही कि अधिकतर ने अपमानजनक ढंग से कुत्ते को कुत्ता नहीं कहा बल्कि सम्मान से पेट ही लिखा.
चंद घंटों में एक नेता और कुत्ते की यह मुलाकात सुर्खियां बन गईं, जिस के कोई माने नहीं थे. लेकिन सचित्र खबर थी तो थी. जिस से उस कुत्ते की अहमियत भी उजागर हुई कि बड़े घर या आदमी का कुत्ता होना भी कोई मामूली बात नहीं होती. लगता नहीं कि प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस का बुरा माना होगा.
आप किसी के घर भी जा कर पुचकार कर उस के पेट को खिला लें, मालिक की खुशी का अंदाजा नहीं लगा सकते. ऐसे खास मौकों पर तो कुत्ते की फैमिली हिस्ट्री प्रजाति, आदतें और शरारतें कुछ इस तरह बखान की जाती हैं कि चंद | मिनटों में ही माहौल इनफार्मल यानी मुद्दे की बात करने लायक सहज हो जाता है.
राहुल गांधी के पिडी का जलवा
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