अर्चना धीमान न तो अशिक्षित थी, न कच्ची उम्र की नादान बालिका. वह 25वां वसंत देख चुकी थी. ग्रैजुएशन कर चुकी अर्चना ने अपनी आंखों पर नए दौर का ऐसा चश्मा लगा लिया था, जिस से उसे दुनिया चमचमाती और रंगीन दिखाई देती है.
बेटी की बढ़ती उम्र को देख कर मांबाप चिंतित थे. अर्चना के पिता देवनाथ धीमान उस के हाथ पीले कर के अपने फर्ज से मुक्ति पा लेना चाहते थे.
न्यूजपेपर में उन्होंने उस के विवाह का विज्ञापन दिया था. रोज 5-7 लड़कों के फोटो बायोडाटा के साथ उन के पते पर आ रहे थे, लेकिन अर्चना किसी भी लड़के को अपने जीवनसाथी के रूप में पसंद नहीं कर रही थी.
उस दिन भी डाक से 3 लड़कों के फोटो अर्चना से रिश्ते के लिए आए थे. पतिपत्नी उन्हीं फोटो को देख रहे थे.
"अर्चना के पापा, मुझे यह लड़का अर्चना बेटी के लिए पसंद आ रहा है," अर्चना की मां एक फोटो देवनाथ धीमान की तरफ बढ़ाते हुए बोली, "इस का कोच्चि में पांचसितारा रायल होटल है. 50 आदमी वहां काम करते हैं. लाखों कमाता है, अर्चना रानी बन कर राज करेगी."
"लड़का तो अच्छा है, मुझे भी जंच रहा है, लेकिन अर्चना से पूछ लो. वह 'हां' करेगी या अन्य रिश्तों की तरह इस रिश्ते को भी ठुकरा देगी."
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