आज महिलाएं मल्टीटास्किंग कर रही हैं। लेकिन इससे बहुत सी चुनौतियां बढ़ गयी हैं। हम भूल जाते हैं कि महिलाएं ना पुरुषों से कमजोर या निम्न हैं और ना श्रेष्ठ। ना ही उन्हें स्वयं को साबित करने के लिए कभी किसी से खुद की तुलना व प्रतिस्पर्धा करने की आवश्यकता है। आत्मिक रूप से हम सभी सशक्त हैं। अंतर सिर्फ संस्कारों का होता है। महिलाओं के पास भी पेशेवर एवं सार्वजनिक जीवन में आगे बढ़ने, प्रगति करने के संस्कार रहे हैं। आज उनके पास पहले से ज्यादा अवसर हैं। यह कहना सही नहीं है कि बढ़ती जिम्मेदारियों एवं काम के दबाव के कारण महिलाओं या पुरुषों को शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह तो उनका थका हुआ मन है, जो जीवन को प्रभावित कर रहा है। अगर आप गौर करेंगी, तो पाएंगी कि पूरे दिन आपका मन ही है, जो घर-परिवार, कैरिअर, संबंधों एवं प्रतिबद्धताओं को मैनेज कर रहा होता है। इसलिए सबसे पहले मन को ही शक्तिशाली बनाना होगा, जो नहीं हो पा रहा है। नकारात्मक सोच एवं गलत जीवनशैली के कारण मन की शक्ति निरंतर घट रही है। चूंकि मन थका हुआ है और हमारे नियंत्रण में नहीं है, तो सोच एवं बोल भी हमारे नियंत्रण में नहीं होते हैं। इससे शरीर पर असर होता है। छोटे-मोटे कार्यों को पूरा करने के लिए अधिक श्रम करना पड़ता है और महिलाएं शिथिल पड़ जाती हैं।
इसका क्या समाधान हो सकता है?
हम जाने-अनजाने कई दबाव लेते रहते हैं। कभी स्वास्थ्य का, संबंध का, अपेक्षाओं का, परीक्षाओं का, नौकरी का, बॉस का, डेडलाइन का, टार्गेट का, ट्रैफिक का, मौसम का...। लंबी सूची है। लेकिन व्यवहार, सोच, बोल, कर्म एवं भावनाओं में थोड़ा लचीलापन रखने से समस्याओं का सहजता से सामना करना सीख सकते हैं। मल्टीटास्किंग करनेवाली महिलाओं के लिए यह और भी जरूरी है कि जीवन में लचीलापन लाने का प्रयास करें। याद रखें कि वे ना ट्रैफिक व्यवस्था को बदल सकती हैं, ना मौसम को और ना अपने बच्चों के व्यवहार को। वे शांत या अराजक कुछ भी हो सकते हैं। लेकिन जब सोच में लचीलापन नहीं होता या कम होता है, तो छोटा-सा तनाव भी बड़ा बन जाता है। दबाव को नियंत्रित करने के बजाय अपने व्यवहार एवं सोच में लचीलापन लाएं। तनाव कम होने लगेगा और आप शांति, खुशी, सफलता का अनुभव करेंगी।
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