उस हृदय को लेकर कितने जागरूक हैं आप?
जानिए, दिल की सेहत से जुड़ी कुछ जानी और कुछ लगभग अनजानी बातें, जो इस जीवनदायक पंप को दुरुस्त रखने में मददगार होंगी।
हृदय स्वतः, अनवरत, सही दर से संकुचित और शिथिल होने वाली अद्भुत मांसपेशियों से बना पंप है। क्या आप जानते हैं कि गर्भावस्था के पांचवें हफ़्ते से ही आप शिशु के दिल की धड़कनों को अल्ट्रासाउंड की मदद से सुन सकते हैं। अर्थात मां के गर्भ से लेकर मृत्युशय्या तक अपनी अनिवार्य भूमिका निभाता है हमारा हृदय।
दिल के भीतर क्या चलता है...
दिल चार चैंबर वाला, मांसपेशियों से बना एक अद्भुत यंत्र है। इसके चैंबर पतले से पर्देनुमा सेप्टम से विभाजित होते हैं।
सीधे हाथ की ओर के ऊपरी चैंबर (राइट एट्रियम) में शिराओं द्वारा ऑक्सीजन रहित रक्त जो कि शरीर के विभिन्न हिस्सों से एकत्र किया गया है, उड़ेल दिया जाता है। यहां से रक्त निचले चैंबर (राइट वेंट्रिकल) में जाता है, जहां से फेफड़ों में पंप कर दिया जाता है। इसी बीच फेफड़ों में सांस के माध्यम से आई हुई ऑक्सीजन इस रक्त में मिल जाती है और हीमोग्लोबिन से बंधकर शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने हेतु तैयार हो जाती है। फिर यही रक्त धमनी द्वारा जुड़े दिल के बाएं चैंबर में उड़ेल दिया जाता है, और ऑक्सीजन युक्त रक्त संपूर्ण शरीर को तुरंत पंप कर दिया जाता है बाईं तरफ़ के निचले चैंबर (लेफ्ट वेंट्रिकल) से। इस प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने हेतु दिल का अपनी विद्युतीय प्रणाली होती है, जिसमें तंत्रिकाएं होती हैं जो समुचित मात्रा में इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज से धड़कनों को नियंत्रित करती हैं।
डरने, दौड़ने, जैसी प्रक्रियाओं में दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, क्योंकि इन अवस्थाओं में शरीर को अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
है न यह चंद सेकंड्स की अद्भुत प्रक्रिया!
सोचने की बात है कि यदि गीतकारों को दिल की धड़कनों की इतनी जटिल प्रक्रिया का भान होता तो क्या फिर उनके गीतों में वह रस होता?
जिनसे जुड़ा है हृदय का स्वास्थ्य....
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