अंधेरे समय में टॉर्च दिखाने वाले
Aha Zindagi|August 2024
जन्म के सौ साल बाद तथा मृत्यु के लगभग तीस साल बाद भी हरिशंकर परसाई की रचनाएं उसी प्रकार पढ़ी जा रही हैं, जिस प्रकार आज से तीस, चालीस, पचास साल पहले पढ़ी जा रही थीं। सोशल मीडिया पर तैर रहे उनके व्यंग्य-अंशों के साथ लगा हुआ नाम हटा दिया जाए तो कोई विश्वास नहीं करेगा कि वे चालीस-पचास साल पहले लिखे गए हैं, आज के नहीं हैं। दूसरे बड़े और महान लेखकों के मामले उनके नाम काल को जीता है, वहीं हरिशंकर परसाई के मामले में उनकी रचनाओं ने काल को जीता है। परसाई की ही रचना 'टॉर्च बेचने वाले' के शीर्षक को कुछ बदलकर कहें तो वे बेचने वाले नहीं, अंधेरे समय में टॉर्च दिखाने वाले हैं। कालजयी हरिशंकर परसाई और उनकी क़लम का सफ़र इस बार ज़िंदगी की किताब मेंविशेष अवसर है इस महीने की 22 तारीख़ को परसाई जयंती का....
पंकज सुबीर
अंधेरे समय में टॉर्च दिखाने वाले

जमानी से शुरू हुआ जीवन...

हरिशंकर परसाई का ठेठ गांव में शुरू हुआ जीवन आगे की पढ़ाई के लिए क़स्बे में पहुंचा, जहां उन्हें अध्ययन के संस्कार मिले।

रिशंकर परसाई व्यक्तियों और घटनाओं नहीं, प्रवृत्तियों पर लिखते थे। प्रवृत्तियां बीतती नहीं हैं, वे स्थिर रहती हैं। समय बीतता है मगर इंसानी प्रवृत्तियां कमोबेश वैसी की वैसी बनी रहती है, और इसी कारण परसाई के व्यंग्य लेख अपने आपको 'काल स्थिर' किए हुए हैं, काल बीत जाने का उन पर कोई प्रभाव नहीं होता है। आज का यह समय जो बहुत तेज़ गति से चल रहा है, जहां बहुत तीव्र गति से परिवर्तन आ रहे हैं, इस समय में आज भी हरिशंकर परसाई की रचनाएं सामयिक बनी हुई हैं और परसाई प्रासंगिक बने हुए हैं।

पांच बच्चों में सबसे बड़े

हरिशंकर परसाई के दादा कुंदनलाल परसाई अपने साढ़ के प्रस्ताव पर उस समय के होशंगाबाद जिले (जिसका वर्तमान नाम नर्मदापुरम है) की बाबई तहसील (जिसका नया नाम माखनपुर है) के एक गांव से अपना नौ सदस्यीय परिवार लेकर इटारसी के पास जमानी आ गए थे। वे साढ़ भाई की ज़मीनें संभालने लगे। बच्चों की शादियां भी जमानी में रहकर ही की तीनों बड़े बेटे मुकुंदीलाल, कन्हैयालाल और रामदयाल शादी के बाद जमानी छोड़कर दूसरे गांवों में बस गए। दोनों बेटियों लक्ष्मी देवी और बटेश्वरी देवी का भी विवाह हो गया और वे भी जमानी से चली गईं। श्यामलाल तथा झुमकलाल जमानी में ही बने रहे। कुंदनलाल के तीनों बड़े बेटों को कोई संतान नहीं हुई, श्यामलाल को एक बेटी हुई वह भी निःसंतान रही। केवल झुमकलाल परसाई जिनकी शादी चंपा बाई से हुई थी, उनको दो बेटे तथा तीन बेटियां हुए हरिशंकर, गौरीशंकर, रुक्मिणी देवी, सीता देवी और मोहिनी देवी (हन्ना)। सबसे बड़े बेटे हरिशंकर ही हिंदी साहित्य जगत के व्यंग्य-शिरोमणि हरिशंकर परसाई हैं।

हरि के साथ शंकर का जुड़ाव

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