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लहर के थपेडों से बचने की तैयारी
महामारी के एक साल बाद कारोबार तत्परता के साथ उबर रहे हैं लेकिन एक बार फिर गंभीर रूप से इम्तिहान से गुजरेंगे क्योंकि भारत कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा है
मोर्चे पर अकेले
पश्चिम बंगाल में करो या मरो चुनावी लड़ाई खुली तो भाजपा की भारी ताकत के खिलाफ ममता ने घायल योद्धा की तरह अकेले मोर्चा संभाला
बमकांड
भारत के सबसे अमीर आदमी से उगाही के लिए रची गई एक बचकाना सी साजिश मुंबई पुलिस के लिए गले की हड्डी बन गई है. मुंबई में खाकी-खादी की साठ-गांठ का खेल खुल चुका है और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है
फोन टैपिंग की फांस
राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ तख्तापलट की जुलाई 2020 की कोशिश नाकाम होने के बाद फोन टैपिंग विवाद ने एक बार फिर से राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दिया है. गहलोत सरकार ने विधानसभा में माना कि फोन 'इंटरसेप्ट' किए गए थे और उसके बाद सरकार की दिक्कतें बढ़ी हुई हैं.
किसके फायदे का सौदा
प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सरकार की प्रस्तावित नई वाहन कबाड़ नीति पर उठे कई सवाल
दास्तान एक राष्ट्रीय त्रासदी की
यह लॉकडाउन के उन दिनों का वाकया है जब देश भर में महानगरों से लाखों प्रवासी मजदूर जान दांव पर लगाकर अपने मूल गांवजवार की ओर चल पड़े थे. कोई साइकिल से, कोई ठेले या रिक्शे पर तो कोई पैदल ही. उसी दौरान गाजियाबाद से सहरसा (बिहार) के मोहनपुर गांव जा रहे सात मजदूरों के एक समूह को हापुड़ जिले में गंगा नदी के बृजघाट पर पुलिसवालों ने घेर लिया और बहुत मारा. उनका कहना था कि ये लोग उलटे पांव गाजियाबाद लौटें. पर मजदूरों का कहना था कि वे इतने थके और निराश हैं कि वहां पहुंचते-पहुंचते उनका दम टूट सकता है.
आई दूसरी लहर
हालिया हफ्तों में संक्रमण के मामलों में भारी इजाफे से सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित, आखिर क्या है वजह?
ऊपरी असम में ऊंचे दांव
निचले असम और बराक घाटी में कांग्रेस-एआइयूडीएफ की सीटें बढ़ने की संभावना, ऐसे में भाजपा-अगप को पहले चरण की 47 सीटों पर अपना वर्चस्व बनाए रखना होगा
विधेयक पर बवाल
यह बिहार दिवस यानी कि राज्य की वर्षगांठ का अगला ही दिन था. राज्य के उत्सव और बधाइयों के संदेश राजनैतिक गलियारों में तैर रहे थे. इसी बीच बिहार विधानसभा में अभूतपूर्व हंगामा हो गया और लोकतंत्र व संसदीय मर्यादा पिटती-पीटती नजर आने लगी.
प्यास है कि बुझती ही नहीं
आजादी के सात दशक बाद भी देश के 19.1 करोड़ परिवारों में तकरीबन एक-तिहाई को ही नल कल से पीने का पानी नसीब, अब देश की उम्मीदें महत्त्वाकांक्षी जल जीवन मिशन पर टिकी
गुजरात का जलतंत्र
दो दशकों के भीतर भारी जल संकट वाले राज्य से पर्याप्त पानी की उपलब्धता वाले सूबे में तब्दील होने के पीछे सिर्फ नर्मदा कैनाल नहीं है, ऐसा वहां के दूरदर्शी नेतृत्व की वजह से मुमकिन हुआ
पवित्र गंगा की अवरुद्ध जलधारा
गंगा की सफाई की कोशिशें पहले भी कई बार हुई हैं. लेकिन कमी भी इस तरह मिशन का स्वरुप उसे नहीं मिला, और अब प्रधानमंत्री खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं
नंदीग्राम का संग्राम
कोलकाता से लगभग 75 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में नंदकुमार क्रॉसिंग पर, चार दिशाओं में बंटने से पहले हाइवे एक शानदार लूप लेता है. वैसे, कौन-सा मोड़ नंदीग्राम लेकर जाएगा इसे बताने वाले साइनबोर्ड तो गिने-चुने हैं, पर सियासी संदेश वाले साइनबोर्ड्स की भरमार हैं. इनमें से दो होर्डिंग्स अन्य पर हावी हैं.
आखिर कैसे बुझे भारत की प्यास
देश एक गंभीर जल संकट के मुहाने पर खड़ा है. इससे बचने के लिए हमें तेजी से और मिलकर प्रयास शुरू करने होगे
दक्षिण का गान
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2021 में जीवन के हर क्षेत्र के वक्ताओं ने मंच संभाला-नेता, एंटरटेनर, उद्योगपति और समाजसेवी. लेकिन 12 और 13 मार्च को चेन्नै में संपन्न इस दो दिवसीय आयोजन में चर्चा का मुख्य विषय तो तमिलनाडु, पुदुच्चेरी और केरल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव ही थे. सियासत और अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस से लेकर महामारी के बाद के परिवेश के लिए भारत के ब्लूप्रिंट पर चर्चा-कॉन्क्लेव ने कितने ही विषयों को नजदीक से जाकर पकड़ा
जहां महिलाओं का बोलबाला है
साल दर साल जल संकट से जूझ रहे गुजरात के एक गांव की महिलाओं ने पाइप से जल आपूर्ति का प्रबंधन अपने हाथों में लिया और उनकी किस्मत बदल गई
बूंद-बूंद बहुमूल्य
भारत में दूर-दराज के कम बारिश के इलाकों से ज्यादा कौन समझेगा इसकी कीमत! अब यहां के किसानों को भी एहसास हो गया है कि टेक्नोलॉजी, अपना समुदाय और संसाधनों में साझेदारी ही उनकी बेहतरी का मंत्र
परवाज की ताकत
बिहार सरकार का सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए आरक्षण बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने का फैसला पुलिस बल में एक बड़े बदलाव का सबब बन रहा
दवा के अवैध कारोबार का केंद्र बना आगरा
तकरीबन 11 राज्यों में नशे के इस्तेमाल में आने वाली और नकली दवा की सप्लाइ और कालाबाजारी का केंद्र बना उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक नगर
ओटीटी पर लगाम
ओटीटी कंटेंट रचने वाले इसके लिए सरकार के दिशानिर्देशों को लेकर खास परेशान नहीं
नया खेवनहार
उत्तराखंड में 10 मार्च को जब सुबह दस बजे भाजपा पार्टी मुख्यालय में विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं का जुटना शुरू हुआ तो किसी को भी इस बात की भनक नहीं थी कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.
एलआइसी की कितनी कीमत
आइपीओ के जरिए एलआइसी को बाजार में लाने से बहुत कुछ मिलेगा और राजकोषीय घाटे को काबू में लाना भी कम आकर्षक परिणति नहीं है लेकिन इसके लिए कई अड़चनों से पार पाना होगा
आखिर नौकरियां कहां हैं?
अपने दशक भर लंबे कार्यकाल में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का ममता बनर्जी का दावा निराशाजनक आंकड़ों से रू-ब-रू
व्यापम की वापसी?
मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (एमपीपीईबी), जिसे व्यापम कहा जाता है, की ओर से आयोजित एक भर्ती परीक्षा के परिणामों में सिलसिलेवार संदेहास्पद 'संयोग' की खबर सामने आने के बाद इसकी जांच शुरू कर दी गई है.
दिव्य भव्य कुंभ हरिद्वार 2021
उत्तराखंड की पवित्र नगरी स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ तीर्थयात्रियों का स्वागत करती है
जेब कटने का पूरा इंतजाम
जीवन जीने की लागत तो बढ़ रही है लेकिन सरकारी आंकड़ों में खुदरा महंगाई तेजी से गिर रही है. इस विरोधाभास के पीछे आखिर क्या है?
गांधी परिवार का अकेलापन
सियासी गुमनामी और अंदरूनी बगावती से मुकाबिल गांधी परिवार पार्टी पर अपनी पकड़ खोता दिखाई दे रहा है. उनका भविष्य अब आने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजों पर निर्भर
संवेदनाओं की सियासत
एनजीटी के एक आदेश के बाद पुलिस की कार्रवाई से राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण निषाद समुदाय से हमदर्दी जताने की राजनीतिक दलों में लगी होड़
खालिस्तान का साया
हाल की कुछ गिरफ्तारियों से संकेत मिले हैं कि भारत में अपराधियों के स्थानीय नेटवर्क का इस्तेमाल कर पाकिस्तान फिर से खालिस्तान आंदोलन को हवा देने की कोशिश कर रहा है. विदेश में बैठे अलगाववादियों के लिए किसान आंदोलन एकजुट होने का सबब बन सकता है
मंदिरों की दौड़
भाजपा नेताओं के लिए किसी भी राज्य में मंदिरों और आश्रमों में हाजिरी लगाना, बेशक एक आम प्रथा रही है. लेकिन पश्चिम बंगाल के चुनाव अभियान में इस व्यग्रता और प्रतिबद्धता ने नए स्तर को छुआ है.और सिर्फ राम और हनुमान (या पार्टी के अधिक कट्टर समर्थक उन्हें बजरंग बली कहना ज्यादा पसंद करते हैं) के मंदिरों में नहीं बल्कि नेता, खासकर भाजपा और संघ के वीवीआइपी नेता, अब अपने मार्ग में पड़ने वाले काली और दुर्गा के मंदिरों में भी रुककर मत्था टेक रहे हैं.