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गारंटियों का कांटा
बीआरएस और कांग्रेस ने सियासी होड़ में खोला वादों का पिटारा लेकिन भाजपा के पास घोषणापत्र के नाम पर वोटर से बोलने को कुछ भी नहीं
अमानत में खयानत
मतदान सिर पर हैं लेकिन मतदाताओं की खामोशी और बागियों के कारण दोनों दलों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही
आश्वासन का शासन
चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों का दांव अब काम से ज्यादा आश्वासनों पर टिक गया है, फिर भी दूसरे हथकंडे जारी
चुनावी रण में कल्याण की नीति
पिछले दो दशक की कई कल्याणकारी योजनाओं के स्रोत रहे राजस्थान का वोटर क्या कांग्रेस की सामाजिक सुरक्षा को जिताएगा या फिर से सत्तापलट का रिवाज निभाएगा?
मुद्दे खाली, गारंटी पूरी
कल्याणकारी राज्य को तिलांजलि देने के तीन दशक बाद राजनीतिक दलों तक सिमट चुका कल्याण बना वोट का बायस
तबाही अभी बाकी है
गाजा में इजरायली हमले की तबाही भयावह मगर दो हिस्सों में बंटी दुनिया में से अनिश्चित भविष्य की आशंका
एक ही सिक्के के दो पहलू
शांति बहाली और समाधान के रास्ते की पहली शर्त यह है कि दोनों तरफ के अतिवादियों की खुलकर आलोचना की जाए
टीकमगढ़
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल का उपेक्षित रहा यह जिला ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।
'लोग मसाला फिल्मों से ऊब गए हैं'
अभिनेता विक्रांत मैसी उन चुनिंदा कलाकारों में शामिल हैं, जिन्होंने टीवी, सिनेमा और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रतिभा का लोहा बराबरी से मनवाया है। लुटेरा, हाफ गर्लफ्रेंड, छपाक जैसी फिल्मों से मजबूत शुरुआत करने वाले विक्रांत को ओटीटी के शो मिर्जापुर और क्रिमिनल जस्टिस से सशक्त पहचान मिली। निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 12th फेल में वह मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म, किरदार और अभिनय सफर के बारे में आउटलुक के गिरिधर झा ने उनसे बातचीत की।
अब तो बस 'नाम' की टक्कर
जबरदस्त टक्कर वाले भारत-पाकिस्तान के मैचों का अब पुराना आकर्षण नहीं बचा
जिनका कोई नहीं, उनका राज्य
सरकार ने सभी अनाथों को 'राज्य के बच्चे' घोषित करने की पहली योजना की घोषणा की
धाकड़ों की धमक
खेल के क्षेत्र में हरियाणा सरकार के दावों और विपक्ष के आरोपों के बीच अब भी कई स्टार खिलाड़ी बेरोजगार
'लोकसभा नतीजों के बाद विधानसभा के लिए गठबंधन पर विचार होगा'
नौ बरस पहले हरियाणा की सियासत में भाजपाई रंग नहीं था। 1990 के दशक की राम मंदिर लहर से जब पूरा उत्तर भारत भाजपामय था, तब भी हरियाणा इसके असर से परे था। 2014 की मोदी लहर के बावजूद भाजपा को विधानसभा की सभी 90 सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा था। खैर, लहर में 47 सीटें जीतकर पहली बार बहुमत में आई भाजपा में सरकार बनाने को लेकर भारी उत्साह था। पहली बार सरकार बनने की गहमागहमी के बीच 19 अक्टूबर 2014 की गुनगुनी दोपहरी में पहली बार का एक विधायक अपने चंद समर्थकों के साथ एक झोला और सूटकेस लिए चंडीगढ़ के सेक्टर तीन स्थित हरियाणा निवास की पहली मंजिल के एक कमरे में डेरा डालता है। दो दिन बाद 21 अक्टूबर को यूटी गेस्ट हाउस में विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए कई सारे नामों की चर्चा थी, लेकिन खुद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल तब के प्रदेश अध्यक्ष रामबिलास शर्मा ने मनोहर लाल खट्टर के नाम प्रस्ताव रखा। प्रभारी वेंकैया नायडू ने घोषणा की, “मनोहर लाल जी विधायक दल के नेता होंगे।” घोषणा के बाद कुछ देर के लिए पसरे सन्नाटे में सबकी निगाहें मनोहर लाल पर टिकी थीं।
आर्थिक दिशा की तलाश
अस्सी के दशक तक हुए विकास पर टिके हरियाणा को अब सामाजिक मूल्यों के आधुनिकीकरण की जरूरत
नौ साल मनोहर या..
26 अक्टूबर को नौ साल पूरा कर रही खट्टर सरकार के उपलब्धियों के दावे अनेक मगर विपक्ष के एजेंडे भी कम नहीं, असली परीक्षा तो अगले साल लोकसभा और फिर उसके कुछ महीने बाद विधानसभा चुनावों में ही होगी
अदूरदर्शी हृदयहीनता का एक सिलसिला
अमेरिकी और पश्चिमी खेमे की कुल कोशिश यही है कि युद्ध भी हमारी मुट्ठी है में रहे, विराम भी हमारी ही मुट्ठी में रहे
'हो सकता है नेतन्याहू सत्ता गंवा बैठें'
इजरायल के पर हमास के हमले के बाद उभरती हुई स्थितियों और इजरायल-फलस्तीन जंग के समूचे परिदृश्य और उसके निहितार्थों पर द इकोनॉमिस्ट पत्रिका के डिफेंस एडिटर शशांक जोशी से आउटलुक के नसीर गनई की बातचीत के अंशः
अमन की उम्मीदों पर हमले
अमन की राह में ज्यादा से ज्यादा बारूद बिछे, नए टकराव में मलबे में दब गईं पुरानी रणनीतियां
चुनावी मैदान में खड़ी धान
धान खरीद का मामला एक बार फिर चुनाव से पहले गरमाया, कांग्रेस-भाजपा दोनों के दावे और प्रति-दावे का सिलसिला
प्रत्याशी, प्रयोग और प्रपंच
भाजपा के लिए टिकट बंटवारे के जरिये सत्ता-विरोधी लहर के मुकाबले की कोशिश बनी सिरदर्द, कांग्रेस में कलह भी कम नहीं
हाशिये का बहुसंख्यकवाद
मिजोरम चुनाव में मणिपुर बना मुद्दा, एमएनएफ और कांग्रेस दोनों का जीत का दावा
आश्चर्य से भरे म्यूजियम
तमिलनाडु में स्थित म्यूजियम बेहद खूबसूरती के साथ इसकी सांस्कृतिक एवं कलात्मक विरासत को सहेजे हुए हैं। म्यूजियम में शिल्प कला से लेकर मशहूर चित्रकारों की तस्वीरें को संजोया गया है।
सोनबरसा
बिहार के वर्तमान सहरसा जिले का यह इलाका 10वीं सदी तक मिथिला के कनार्ट वंश के अधीन था।
सहज इच्छाओं का सामाजिक आख्यान
नर्मदा की उपनदी सिंदूरी और उसके तट पर बसे एक छोटे गांव मदनपुर की संस्कृति और समुदाय की सहज-सरल आकांक्षाओं का समाजशास्त्रीय आख्यान है नदी सिंदूरी।
लोक कला का कथानक
एशियाई देशों में विशिष्ट स्थान बना चुकी, मधुबनी पेंटिंग नाम से जीआइ टैग हासिल इस शैली की चित्रकारी पर पढ़ना भी जरूरी
सामाजिक-नैतिक जिम्मेदारी की बातें
तीन उपन्यास- ‘ये वो सहर तो नहीं’, ‘अकाल में उत्सव’ और जिन्हें ‘जुर्म-ए-इश्क पर नाज’ था से चर्चित हुए पंकज सुबीर ने अपने नए उपन्यास रूदादे-सफर को जिस जमीन पर तराशा है, उस जमीन की आधी मिट्टी सूखी और आधी गीली है।
'मैंने कभी न रोना रोया, न हार मानी'
कुछ दिल से बनाया जाए तो वह दिल तक जरूर पहुंचता है। मैं शुक्रगुजार हूं कि मेरी मेहनत को स्वीकृति मिली। हर कहानी को कहने में चुनौतियां रहती हैं
दस उभरते सितारे
आज देश और दुनिया में क्रिकेट का प्रेम चरम पर है। हालांकि एकदिवसीय फॉर्मेट प्रशंसकों की कमी के कारण नाजुक दौर से गुजर रहा है। सारी चर्चाओं और ऊहापोह के बीच एकदिवसीय विश्व कप 2023, फिर वही उत्साह और ऊर्जा ला रहा है। इस आयोजन में नजरें केवल खेल नहीं, बल्कि कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों पर भी हैं। ऐसे खिलाड़ी, जिनके पास स्टार खिलाड़ी का टैग नहीं है लेकिन यह विश्व कप उन्हें गुमनामी से शोहरत की बुलंदी पर पहुंचाने की कुवत जरूर रखता है। भारत से लेकर पाकिस्तान तक, कौन हो सकते हैं वे दस 'अनसंग हीरो'। आइए नजर डालते हैं।
उत्तराखण्ड को वैश्विक पर्यटन स्थल बनाने की मुहिम चढ़ रही परवान
दिसंबर माह में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को लेकर ब्रिटेन के लंदन व बर्मिंघम व शहरों के दौरे पर गए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बड़ा निवेश लाने में कामयाब रहे। लगभग साढ़े बारह हजार करोड़ के निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा, समिट के लिए निवेश का लक्ष्य निश्चित पूरा होगा।
'ये आंकड़े ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं हैं'
राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज झा विपक्ष खेमे में सबसे संजीदा आवाजों में है। बिहार के जातिगत सर्वेक्षण, उसके राष्ट्रीय असर और विपक्ष की चुनावी चुनौतियों पर हरिमोहन मिश्र ने उनसे विस्तृत बातचीत की। प्रमुख अंश: