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हलके में न लें सिरदर्द
आम सा लगने वाला सिरदर्द किसी गंभीर समस्या की दस्तक हो सकता है. कैमिस्ट से ली दवाइयों पर टिके रहने पर आप अपनी जान खतरे में डाल सकते हैं. जानें कि कब सिरदर्द को हलके में न ले कर डाक्टर से मिलना जरूरी है.
हाय हाय हम कहां से लाएं दस्तावेज
असम में हुए एनआरसी में दस्तावेजों के अभाव के चलते 2 हजार किन्नरों से उन की नागरिकता का अधिकार छीन लिया गया. असम की पहली ट्रांसजेंडर जज स्वाति विधान बरुआ ने सवाल उठाया है कि किन्नर, जिन्हें परिवार और समाज पैदा होते ही ठुकरा देता है, जिन्हें नहीं मालूम कि उन के मांबाप कौन हैं, अपनी क्या पहचान बताएं, कौन से दस्तावेज दिखाएं...
होली के रंग हर्बल के संग
बिना रंग होली की कल्पना नहीं की जा सकती पर बाजार में मिलने वाले कैमिकल रंग त्वचा के लिए खतरनाक हैं, इसलिए हर्बल रंगों को अपना कर अपनी होली को कलरफुल बनाएं.
फिर दिल्ली का दिल ले गए केजरीवाल
हाथों में तिरंगा लिए, पोस्टर लिए, टोपी पहने, झाड़ लिए लोग देशभक्ति गीतों पर झूम रहे थे. ऐसा लग रहा था कि लोगों को किसी बंधन से मुक्ति मिल गई है. मन में खुशी व उम्मीद उन की आंखों में साफ झलक रही थी. कुछ ऐसा माहौल था अरविंद केजरीवाल के शपथग्रहण समारोह में. और क्या खास था आप भी जानिए 'आप' के बारे में.
धर्म की नहीं कर्म की चली
दिल्ली के मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में धर्म के बजाय कर्म यानी विकास को चुन कर कट्टरवाद को नकार दिया है. इस अहम चुनाव ने यह भी जता दिया है कि सिर्फ सवर्णों के दम पर भाजपा सत्ता के शिखर पर नहीं पहुंच सकती. आम लोग यह भी समझने लगे हैं कि धर्म उन्हें रोटी देता नहीं, बल्कि छीनता है. यह बात अरविंद केजरीवाल ने बड़ी चतुराई से कैसे साबित कर दिखाई, पढ़ें इस खास रिपोर्ट में.
टीस
अपनों के दिए जख्म जल्दी नहीं भरते. रहरह कर वे फिर हरे हो जाते हैं और उन में ऐसी टीस उठती है कि न चाहते हुए भी मुंह से आह निकल ही जाती है.
जातिधर्म में बंटी कारोबारी राजनीति
कारोबारी राजनीति कभी केवल कारोबार के हित में होती थी. अब यहां भी जाति और धर्म हावी हो चुके हैं. नेताओं की आपसी गुटबाजी के बाद जाति और धर्म की गुटबाजी ने कारोबार को सब से अधिक नुकसान पहुंचाया है. पहले कारोबारी राजनीति पर केवल ऊंची जातियों का कब्जा था, अब दलित और पिछड़े वर्ग के लोग भी कारोबारी राजनीति में सक्रिय हो गए हैं.
कबीर खान
फिल्मों में निर्देशन के क्षेत्र में कबीर खान अपने पैर जमा चुके हैं. फिल्मों में वे सफलता का स्वाद चख चुके हैं, लेकिन सफलता के असली माने उन के लिए क्या हैं, आइए जानें.
आंखों को बचाएं
होली पर रंगगुलाल का इस्तेमाल न हो, ऐसा तो संभव नहीं. लेकिन इन रंगों से अपनी आंखों को बचा कर रखें. सिंथैटिक रंगों से आप की आंखों को नुकसान पहुंच सकता है. डा.
अलग घर सुखी परिवार
वक्त बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही है, सुख की परिभाषा के माने भी बदल रहे हैं. ऐसे में सुखी परिवार के लिए कुछ नए पहलुओं को नए सिरे से अपनाया जाए तो हर्ज क्या है?
रिटायरमेंट के क्विक लौस
मेरे रिटायरमैंट का दिन नजदीक आते ही मेरे आसपास के लोग मेरा मन बहलाने के लिए मुझे सपने दिखाते रहे कि रिटायर होने के बाद जो मजा है, वह सरकारी नौकरी में रहते नहीं. लेकिन रिटायरमैंट के बाद मेरे जो क्विक लौस हुए उन्हें मैं ही जानता हूं .
विलय नहीं है हर मर्ज की दवा
देश की मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए बड़े बैंकों का होना जरूरी है . यह देखते हुए बैंकिंग क्षेत्र में बैंकों का विलय किया गया है . लेकिन यह कोई समस्या का समाधान नहीं है .
व्यापार के लिए बेहतर है फ्रैस्टिव सीजन
हम भारतीयों के दिलों में यह बात बहुत गहरे पैठी हुई है कि त्योहारों से जुड़ी परपंराओं का पालन करने से घर में धन व सुखसमृद्धि आती है, लेकिन ये त्योहार खर्चे भी तो लाते हैं. मार्केटिंग स्ट्रेटजी बनाने वाले यह कतई नहीं चाहते कि बढ़ती महंगाई के चलते ग्राहकों का खरीदारी से मोहभंग हो जाए. यही वजह है कि फैस्टिव सीजन में नएनए कलेवर, नएनए औफर्स, गिफ्ट, छूट और प्रयोगों के साथ बाजार ऐसे सजाए जाते हैं कि आप खरीदारी किए बिना रह ही नहीं सकते.
मूर्ति विसर्जन आडंबर से दूषित नदियां
नदियों को प्रदूषण फैलाने व पाप धोने का जैसे रजिस्टर्ड केंद्र बना दिया गया है. नदियों को साफसुथरा बनाने की कवायद में धार्मिक आडंबर आड़े आ रहे हैं.
भारत भूमि युगे युगे
अब चिराग भभके झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लोजपा को मांग के मुताबिक सीटें नहीं दी ,
भाजपा के स्वच्छ भारत ने दलितों से शौच की आजादी छीन ली
पहले धर्मरक्षा, गौरक्षा और अब खुले में शौच. अल्पसंख्यकों पर हमले और किसी भी बहाने से उन की हत्या के मामले आज हमारे समाज में आम बात हो गई है. आखिर हम किस तरह के समाज का निर्माण कर रहे हैं.
फेस्टीवल शौपिंग दीवाला न निकालें
त्योहारी सीजन सेल के दौरान छूट के लालच में आकर खरीदारी न करें. इस से आप का बजट बिगड़ सकता है.
सफर अनजाना
दिल्ली मेट्रो दिल्ली की जीवनरेखा बनती जा रही है . कुछ दिनों पूर्व जब मैं दिल्ली में था , मुझे दिल्ली में राजीव चौक से द्वारका जाना था. मैट्रो में काफी भीड थी. हर स्टेशन पर सिर्फ 30 सैकंड के लिए मैट्रो रुकती है और फिर चल पड़ती है.
दुनिया के मुसलमान अपनों के शिकार
ईसाईयत के बाद इसलाम को मानने वालों की तादाद दुनिया में सब से ज्यादा है . आज मध्यपूर्व दुनिया का वह इलाका है जहां ताकतवर मुसलिम देशों की खेमेबंदी बहुत तगड़ी है , लेकिन यहां रूस और अमेरिका के साथसाथ चीन की सक्रियता और हस्तक्षेप भी बहुत ज्यादा है . ये तीनों ही राष्ट्र नहीं चाहते कि मुसलिम देश कभी भी एकजुट हो कर उन से ज्यादा ताकतवर हो जाएं और पूर्व के तेल के भंडारों पर पश्चिम की पकड़ कमजोर पड़ जाए . इसलिए वे साजिशन इन को आपस में लड़ाए रखते हैं .
जब घर में ही औफिस बनाना हो
आजकल कुछ कंपनियां वर्क फ्रोम होम यानी घर से काम करने की सुविधा प्रदान करती हैं .
जन्म के बाद भी पता नहीं लड़का है या लड़की
हार्मोंस असंतुलन के कारण मध्यलिंगी बच्चों की उत्पत्ति कोई असामान्य बात नहीं है , लेकिन समाज में ऐसे लोगों को कई तरह के तिरस्कार सहने पड़ते हैं . ऐसे में यह एक शोचनीय विषय है .
चार सुनहरे दिन
रेखा को जब प्रदीप जैसे स्मार्ट नवयुवक का साथ मिला तो उसे लगा मानो बिन मांगे ही सारे जहां की खुशियां मिल गईं. तभी तो उसे पाने के लिए रेखा ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया. लेकिन आखिर में उस ने पाया क्या ?
ऐसा भी होता है
मै हाई स्कूल में पढ़ता था. केरल में मेरी कक्षा में मेरा नेपाली मित्र सुलभ था . एक दिन उस ने मुझ से शर्त रखी
उन्मुक्त
व्यक्ति शरीर से बूढ़ा होता है , मन से नहीं. प्रोफैसर सोहन लाल में भी मन से वृद्धावस्था ही नहीं , तन से भी अपने में जवानों सा जोश , उत्साह महसूस करते थे. जीवन में अपनी इच्छाओं को दबा कर जीना उन्हें मंजूर न था .
आशा का दीप
वक्त ने कितनी अजीब स्थिति में डाल दिया था वैभवी को. खुशियां उस के आगे हाथ पसारे खड़ी थीं लेकिन वह उन्हें थाम नहीं सकती थी. यह कैसा खेल था नियति का .
अनजाना बोझ
व्यक्ति की जिंदगी में कभीकभी ऐसा घटित हो जाता है जिस से उस की जिंदगी ही बदल जाती है . एसपी अमित आज प्रतिष्ठित पद पर आसीन थे . लेकिन यहां तक पहुंचने के पीछे की कहानी कोई नहीं जानता था .
'सही कौमेडी फिल्म चुनना मेरे लिए चुनौती होती है' अनिल कपूर
बौलीवुड और हौलीवुड दोनों जगह अपनी छवि बनाते अनिल कपूर की धाक युवा अभिनेताओं के बीच आज भी है . फिटनैस में आगे , स्मार्ट , आत्मविश्वासी अनिल कपूर की जिंदादिली की बातें जानते हैं उन्हीं की जबानी .
स्कूलकालेजों में ड्रैसकोड़ बच्चे और हीचर भी परेशान
स्कूलों तक तो ठीक है लेकिन कालेज में भी ड्रैसकोड को ले कर युवती और युवक इस के पक्ष व विपक्ष दोनों में तर्क दे रहे हैं, यहां तक कि अधिकार और स्वतंत्रता से भी इसे जोड़ा जा रहा है.
सेहत का राज साबुत अनाज
बाजार में ओट्स या कहें जई की धूम है. जई को कभी अमीर लोगों की रसोई का हिस्सा नहीं माना गया था पर आज ओट केक, ओट ब्रेड, मैगी बना कर, तो पोहा या दलिया के रूप में ही नहीं और भी तमाम तरीके बता कर इसे बेचा जा रहा है.
सर्दी में होने वाले दर्द कैसे करें मुकाबला
आज की भागदौड़भरी जिंदगी में खानपान की अनदेखी किए जाने के चलते शरीर की सर्दी झेलने की क्षमता कम हो जाती है. सो, सर्दी के मौसम में शरीर में दर्द होने की समस्या आम देखी जाती है. ऐसे में सभी, खासकर मांसपेशियों व जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों, को पहले से सावधान हो जाना बेहतर है.